निवेश में समय के साथ बहें, पर अपने नियंत्रण में रहें निवेशक, जानिए एक्सपर्ट की राय
शेयर बाजारों का सवाल है यह सच है कि बहुत सी कंपनियों की वैल्यूएशन इस समय ऊपरी स्तर पर है। इसके साथ ही विदेशी बाजारों में कई तरह की चिंताएं दिख रही हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि प्रमुख सूचकांकों में अपने उचित स्तर पर लौटने का ट्रेंड दिखेगा।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश के इक्विटी बाजार इस समय त्योहारी मूड में दिख रहे हैं और चुनिंदा प्रमुख सूचकांक रिकार्ड ऊंचाई पर हैं। कई चुनौतियों के बावजूद घरेलू शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांकों ने उभरते बाजारों के सूचकांकों को प्रदर्शन के मामले में कहीं पीछे छोड़ दिया है। बीएसई का प्रमुख सूचकांक सितंबर में 60,000 को पार कर चुका और पिछले दिनों 62,000 को छूकर लौट चुका है। नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) का 50-शेयरों वाला प्रमुख सूचकांक निफ्टी भी 18,000 को पार कर गया है। इस वर्ष जनवरी से अब तक शेयर बाजारों में 30 प्रतिशत तक का उछाल दर्ज किया जा चुका है।
सकल बाजार के मामले में भी निफ्टी मिडकैप-100 सूचकांक में इस वर्ष अब तक 55 प्रतिशत और स्मालकैप-100 सूचकांक में 63 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। बेहद उच्च विकास दर और विशाल उपभोक्ता वर्ग के चलते विदेशी निवेशक भी भारत में निवेश के लिए प्रेरित हुए हैं। इसका पता इसी से चलता है कि भारत में इस वर्ष अब तक 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का विदेशी संस्थागत निवेश (एफआइआइ) हो चुका है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि निवेशक शेयर बाजार में बड़े निवेश का मन बना सकते हैं।
जहां तक शेयर बाजारों का सवाल है, तो यह सच है कि बहुत सी कंपनियों की वैल्यूएशन इस समय ऊपरी स्तर पर है। इसके साथ ही विदेशी बाजारों में कई तरह की चिंताएं दिख रही हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि प्रमुख सूचकांकों में अपने उचित स्तर पर लौटने का ट्रेंड दिखेगा। शेयर बाजारों की वर्तमान मजबूती बनाए रखने के लिए कंपनियों को वित्तीय स्तर पर लगातार बेहतर प्रदर्शन करने होंगे और कोरोना टीकाकरण अभियान की तेजी बरकरार रखनी होगी। कई सेक्टरों की स्थिति उम्मीद के मुकाबले ज्यादा तेजी से सुधर रही है। हमारा मानना है कि कोरोना टीकाकरण की गति तेज रहने की स्थिति में कंपनियों की कमाई में अच्छा सुधार देखा जाएगा। फिलहाल कहा जा सकता है कि हम आर्थिक विकास दर में उछाल के चक्र के शुरुआती चरण में हैं और अगले दो-तीन वर्षो में विकास दर खासा तेज हो सकती है।
अभी बाजार जिस स्तर पर है, उसे देखते हुए हमारा मानना यही है कि निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में 10 प्रतिशत तक निवेश बढ़ाना चाहिए। हालांकि बाजार में वापस वास्तविक मूल्यांकन की ओर लौटने की प्रवृत्ति होगी और स्टाक-केंद्रित घटनाक्रम दिखेंगे, इसलिए हम पोर्टफोलियो में निवेश बहुत ज्यादा बढ़ाने की सलाह देने से बच रहे हैं। इससे अच्छा यह होगा कि जो स्टाक्स बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं, उनमें थोड़ी मुनाफावसूली कर उन शेयरों में लगाया जाए जिनका प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा है।मैं मानता हूं कि आइटी, कंज्यूमर, सीमेंट, कैपिटल गुड्स व रियल एस्टेट चुनिंदा ऐसे सेक्टर हैं, जिनके प्रमुख आंकड़े उम्मीद बंधाने वाले रहेंगे। वहीं, कोरोना-प्रतिबंधों में ढील देने से विमानन, पर्यटन व आतिथ्य सत्कार या हास्पिटेलिटी जैसे सेक्टर भी आने वाले समय में अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
शेयर बाजारों में एक स्पष्ट रुख यह दिख रहा है कि प्रमुख सेक्टरों व शेयरों का मूल्यांकन उच्च स्तर पर आ चुका है। ऐसे में आने वाले कुछ समय के दौरान अपेक्षाकृत मझोले शेयरों के साथ-साथ उनमें अच्छा कारोबार दिख सकता है जिनका प्रदर्शन अभी तक उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा है। बैंकिंग और आटो ऐसे ही दो सेक्टर हैं, जो चालू वित्त वर्ष के बाकी बचे समय में निवेशकों को कभी भी चकित करने की क्षमता रखते हैं।ऐसे माहौल में मैं एक बात स्पष्ट कहना चाहूंगा। वह यह कि निवेशकों को किसी एक सेक्टर या स्टाक की जगह अपने पोर्टफोलियो के विविधीकरण पर ध्यान देना चाहिए। पोर्टफोलियो में जितने अलग-अलग सेक्टर और प्रकार के स्टाक्स होंगे, बाजार की अस्थिरता के मौकों पर निवेशक उतने अधिक सुरक्षित रहेंगे। यह ऐसा वक्त है जब पोर्टफोलियो को लगातार उलट-पलटकर देखते रहना होगा।
लेखक: सिद्धार्थ खेमका, प्रमुख (रिटेल रिसर्च, ब्रोकिंग व डिस्ट्रीब्यूशन), मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड