Budget 2021: 'इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिलने वाले डिडक्शन को 50 फीसद तक बढ़ाने की जरूरत, बढ़ेगा हेल्थ इंश्योरेंस का दायरा'

वैश्विक महामारी कोरोना के संकट से दुनिया अभी निकली नहीं है। दुनिया भर के लोगों को इसने अभूतपूर्व ढंग से प्रभावित किया है। इस दौरान लोगों के बीच हेल्थ इंश्योरेंस का महत्व बढ़ा है। लोगों ने इसे एक जरूरी निवेश के तौर पर देखना शुरू किया है।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 10:59 AM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 05:28 PM (IST)
Budget 2021: 'इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिलने वाले डिडक्शन को 50 फीसद तक बढ़ाने की जरूरत, बढ़ेगा हेल्थ इंश्योरेंस का दायरा'
कोविड-19 ने सभी कर्मचारियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस को अनिवार्य बनाने की जरूरत खड़ी कर दी है।

नई दिल्ली, गोपाल बालाचंद्रन। वैश्विक महामारी कोरोना के संकट से दुनिया अभी निकली नहीं है। दुनिया भर के लोगों को इसने अभूतपूर्व ढंग से प्रभावित किया है। इस दौरान लोगों के बीच हेल्थ इंश्योरेंस का महत्व बढ़ा है। लोगों ने इसे एक जरूरी निवेश के तौर पर देखना शुरू किया है। हालांकि, टैक्सपेयर्स की ओर से दिए जाने वाले टैक्स इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान की वजह से टैक्स में कटौती हासिल होती है। लेकिन अगर इंश्योरेंस प्रीमियम देने की वजह से जो डिडक्शन हासिल होता है उसे कम-से-कम और 50 फीसद बढ़ाया जाए तो देश में हेल्थ इंश्योरेंस की पहुंच का दायरा ज्यादा बढ़ेगा। 

कोविड-19 ने सभी कर्मचारियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस को अनिवार्य बनाने की जरूरत खड़ी कर दी है। हेल्थ इंश्योरेंस उनके स्वास्थ्य और जिंदगी की सुरक्षा के लिए जरूरी है।

लिहाजा हमारा मानना है कि यहां से हेल्थ इंश्योरेंस की पहुंच बढ़ाने का मजबूत आधार मिल सकता है। हमारी नजर में कॉरपोरेट कंपनियों की ओर से अदा किए जाने वाले हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जो जीएसटी चार्ज लगता है कि उस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलना चाहिए। ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस कवर खरीदने पर जीएसटी चार्ज पर इनपुट टैक्स क्रेडिट दिया जाना चाहिए। हालांकि मौजूदा जीएसटी कानून में इसका प्रावधान नहीं है।

अगर सरकार हेल्थ चेक-अप पर मिलने वाले टैक्स डिडक्शन के दायरे में लोगों की ओर से कराए जाने  वाले टीकाकरण के खर्च को शामिल कर ले तो यह एक बड़ा कदम साबित होगा।

इससे हेल्थ इंश्योरेंस न सिर्फ नागरिकों और टैक्सपेयर्स को दिक्कतों से बचाएगा बल्कि उनके टैक्स बोझ को भी कम करेगा। भारत युवा आबादी वाला देश है, जहां लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत है। अगर सरकार इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने को बढ़ावा देती है तो लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा बचेगा, जिसे वे खर्च कर सकेंगे। जो लोग नौकरी करते हैं या कारोबार करते हैं उनकी कमाई बचेगी क्योंकि बीमारियों, हॉस्पिटलाइजेशन और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर किया जाने वाला खर्च, हेल्थ इंश्योरेंस होने की वजह से बच जाएगा।  हेल्थ इंश्योरेंस मेडिकल खर्चों को कवर करता है।

जब लोगों के पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा होगा तो यह सरकार के खजाने में भी जाएगा। सरकार इन खर्चों पर अप्रत्यक्ष कर के जरिये ज्यादा राजस्व जुटा पाएगी।

हमें पूरी उम्मीद है कि आने वाले बजट में सरकार गैर जीवन बीमा सेक्टर को रफ्तार देने के लिए माकूल कदम उठाएगी। हमें विश्वास है कि सरकार अगर ऐसा कदम उठाती है तो इससे निश्चित तौर पर देश में इंश्योरेंस का दायरा और बढ़ेगा।

(लेखक आईसीआईसीआई लोम्बार्ड इंश्योरेंस के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर और चीफ रिस्क ऑफिसर हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।)

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