देश के ये 5 बजट अपनी खामी और खासियत के लिए हमेशा याद किए जाते हैं

वर्ष 2021 का बजट 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। बजट में सरकार की नीतियों और योजना के बारे में बताया जाता है। बजट में देश की अर्थव्यस्था में सुधार और आम लोगों को फायदा मिले ऐसे कार्यों का लेखा-जोखा होता है।

By NiteshEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 04:47 PM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 08:15 PM (IST)
देश के ये 5 बजट अपनी खामी और खासियत के लिए हमेशा याद किए जाते हैं
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नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वर्ष 2021 का बजट 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। बजट में सरकार की नीतियों और योजना के बारे में बताया जाता है। बजट में देश की अर्थव्यस्था में सुधार और आम लोगों को फायदा मिले, ऐसे कार्यों का लेखा-जोखा होता है। देश के कुछ बजट सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहे हैं। जानिए ऐसे ही बजट के बारे में...

वित्त वर्ष 1957

कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री टी टी कृष्णामाचारी ने 15 मई, 1957 को बजट पेश किया था। इस बजट में कई बड़े फैसले लिए गए। इस बजट में आयात के लिए लाइसेंस अनिवार्य किया गया। नॉन-कोर प्रोजेक्ट्स के लिए बजट का आवंटन वापस ले लिया गया। निर्यातक को सेफ्टी के लिए एक्सपोर्ट रिस्क इन्श्योरेंस कॉरपोरेशन बनाया गया। बजट में वेल्थ टैक्स भी लगा और एक्साइज ड्यूटी में 400 फीसद तक का इजाफा हुआ। इस बजट के कई सकारात्मक और नकारात्मक पहलु रहे।

द ब्लैक बजट 1973 

यह वित्त मंत्री यशवंतराव बी चव्हाण द्वारा 28 फरवरी, 1973 को पेश किया गया। इसमें सामान्य बीमा कंपनियों, भारतीय कॉपर कॉरपोरेशन और कोल माइन्स के राष्ट्रीयकरण के लिए 56 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाए गए। वित्त वर्ष 1973-74 में बजट में अनुमानित घाटा 550 करोड़ रुपये रहा था, ऐसा कहा जाता है कि कोयले की खदानों का राष्ट्रीयकरण किए जाने से काफी असर पड़ा। कोयले पर सरकार के अधिकार से बाजार में कॉम्पिटिशन खत्म हो गया।

1987 का गांधी बजट

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 28 फरवरी, 1987 को बजट पेश किया। इस बजट में न्यूनतम निगम कर पेश किया गया था, जिसे आज MAT (मैट) या मिनिमम अल्टरनेट टैक्स के नाम से जाना जाता है। इस टैक्स का उद्देश्य उन कंपनियों को टैक्स लिमिट में लाना था, जिनका मुनाफा काफी अधिक था और वो सरकार को टैक्स देने से बचती थीं। 

पी चिदंबरम का ड्रीम बजट, 1997

तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 28 फरवरी, 1997 को यूनियन बजट पेश किया था, जिसे ड्रीम बजट नाम दिया गया। इस बजट में वॉलंटियरी डिसक्लोजर ऑफ इनकम स्कीम (VDIS) पेश की गई, जिससे ब्लैक मनी को बाहर लाया जा सके। लोगों और कंपनियों के लिए टैक्स प्रावधान में बदलाव हुए। साल 1997-98 के दौरान निजी आय कर से सरकार को 18,700 करोड़ रुपये मिले। अप्रैल 2010 से जनवरी 2011 के बीच यह इनकम 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई।

पी चिदंबरम का फ्लैगशि‍प प्रोग्राम

तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 28 फरवरी, 2005 को बजट पेश किया। इस बजट में पहली बार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (नरेगा) को लॉन्च किया गया। इस योजना से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार और आमदनी मिली। इस स्कीम से पंचायत, गांव और जि‍ला स्तर पर नौकरशाहों का जाल सा बि‍छ गया। 

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