Budget 2021: करदाताओं का पैसा निवेश पर खर्च होना चाहिए, न कि सब्सिडी पर: CEA

देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमणियन का मानना है कि बजट में सीमित संसाधनों के बीच समग्र विकास की ईमानदार कोशिश की गई है। देश से कुछ भी छिपाया नहीं गया है चाहे वह कर्ज की बात हो या फिर सब्सिडी की।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Tue, 09 Feb 2021 10:26 AM (IST) Updated:Tue, 09 Feb 2021 10:26 AM (IST)
Budget 2021: करदाताओं का पैसा निवेश पर खर्च होना चाहिए, न कि सब्सिडी पर: CEA
यह बजट लांग टर्म विजन वाला है: CEA

नई दिल्ली, जेएनएन। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमणियन का मानना है कि बजट में सीमित संसाधनों के बीच समग्र विकास की ईमानदार कोशिश की गई है। देश से कुछ भी छिपाया नहीं गया है, चाहे वह कर्ज की बात हो या फिर सब्सिडी की। उनका यह भी कहना है कि विकास गति के रफ्तार पकड़ने पर उन सेक्टर में भी तेजी आएगी जिनके लिए बजट में अलग से प्रविधान नहीं किया गया है। सुब्रमणियन ने दैनिक जागरण के राजीव कुमार के साथ विस्तृत बातचीत की।  

पेश हैं प्रमुख अंश..

प्रश्न: बजट में कुछ सेक्टर के लिए अलग से कोई घोषणा नहीं की है। क्या ऐसे सेक्टर पीछे नहीं छूट जाएंगे? 

सुब्रमणियन: जब अर्थव्यवस्था में 11 फीसद की दर से विकास होगा तो सबको फायदा होगा। जब लहर तेज होती है तो ऐसा नहीं है सिर्फ एक नाव ऊपर आती है, समुद्र में तैरने वाली सभी नाव को फायदा होता है। बजट में यह ध्यान रखा गया है कि सीमित संसाधनों का सबसे अच्छा उपयोग कैसे किया जाए। बजट में किसी एक सेक्टर नहीं, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था के लाभ के बारे में सोचा गया। 

प्रश्न: बजट में गरीब और निचले तबके को तत्काल खर्च करने के लिए रकम का प्रविधान नहीं किया गया, सब्सिडी में भी कटौती कर दी गई?

सुब्रमणियन: बजट में यह कोशिश की गई है कि किसी को मछली देने की जगह उसे मछली पकड़ना सिखा दो। अगर आप किसी को मछली देते है तो वह एक-दो दिनों में खत्म हो जाएगी, लेकिन मछली पकड़ना सिखा देने पर वह कमाने लगेगा। जहां तक सब्सिडी का सवाल है तो एक रुपया सब्सिडी पर खर्च करने से अर्थव्यवस्था में 98 पैसे जुड़ते हैं वहीं, पूंजीगत खर्च करने पर अर्थव्यवस्था में 2.5 रुपये जुड़ते हैं। ऐसे में वाजिब है कि करदाताओं का पैसा निवेश पर खर्च होना चाहिए, न कि सब्सिडी पर।

प्रश्न: कोरोना महामारी की वजह से सैकड़ों लोगों के रोजगार चले गए, उनके लिए बजट में क्या किया गया?

सुब्रमणियन: यह बजट लांग टर्म विजन वाला है। यह दशक का पहला बजट है जो नींव रखने वाला है। कोविड के बाद दुनिया बदल रही है। अभी हमें दोनों हाथों से बटोरने का मौका है क्योंकि काफी देश महामारी को कंट्रोल नहीं कर पाए हैं। और जब इन्फ्रा पर पूंजीगत खर्च होंगे तो कई सेक्टर से मांग निकलेगी, जिससे रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे। पैसे बांटने से रोजगार नहीं निकलते हैं, निवेश से रोजगार निकलते हैं। 

प्रश्न: पूंजीगत खर्च से कितना लाभ मिलेगा?

सुब्रमणियन: बजट की घोषणा के मुताबिक अगले वित्त वर्ष में 5.59 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत खर्च के लिए हैं, जो जीडीपी का 2.5 फीसद है। पूंजीगत खर्च के रूप में एक रुपया लगाने पर इकोनॉमी में 2.5 रुपये जुड़ते हैं। इस प्रकार अगले वित्त वर्ष में 6.25 फीसद का विकास सिर्फ पूंजीगत खर्च से होगा।

प्रश्न: स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च में बजट में लगभग 140 फीसद की बढ़ोतरी की गई, लेकिन इनमें जल व स्वच्छता खर्च भी शामिल हैं।

सुब्रमणियन: देखिए, स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक होता है रोकथाम, दूसरा होता है बचाव। अगर साफ पानी उपलब्ध होगा, साफ-सफाई होगी तो हम कई बीमारियों को दूर रख सकेंगे। तो यह भी स्वास्थ्य का ही हिस्सा है। इसे अलग नहीं देखना चाहिए।

प्रश्न: मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़े सिर्फ 13 सेक्टर को पीएलआइ (PLI) से जोड़ा गय। इसकी उम्मीद तो और भी बहुत सेक्टरों को थी।

सुब्रमणियन: उन सेक्टरों को उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआइ) से जोड़ा गया है जिनमें चैंपियन बनने की क्षमता है और जो विदेशी बाजार में अन्य देशों के उत्पाद से मुकाबला कर सकते हैं। जब आप क्रिकेट टीम चुनते हैं तो खिलाड़ी की क्षमता देखते हैं, पीएलआइ में भी यही किया गया है। सबको पीएलआइ का लाभ दिया गया तो इस योजना का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।

प्रश्न: राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.8 फीसद रखा गया है, कहीं लांग टर्म में इकोनॉमी को नुकसान तो नहीं होगा?

सुब्रमणियन: मेरा मानना है कि इससे फायदा होगा, क्योंकि जब मंदी आती है तो सरकार के खर्च करने से विकास दर में बढ़ोतरी होती है और कर्ज दरों में कमी आती है। अगर विकास दर कर्ज की दरों से अधिक हो तो यह फायदे की ही बात है।

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