पहली लहर के मुकाबले नुकसान कम पर खतरा ज्यादा, आवागमन और रोजगार पर ज्यादा असर के आसार : आरबीआई

अप्रैल में ई-वे बिल में 17.5 फीसद की गिरावट यह संकेत भी दे रही है। पेट्रोल व डीजल की बिक्री में लगातार कमी भी औद्योगिक गतिविधियों के घटने की तरफ संकेत करती है। अप्रैल मे पैसेंजर कारों की बिक्री में गिरावट होना भी यही बताता है।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 01:01 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 01:01 PM (IST)
पहली लहर के मुकाबले नुकसान कम पर खतरा ज्यादा, आवागमन और रोजगार पर ज्यादा असर के आसार : आरबीआई
भारतीय रिज़र्व बैंक P C : Reuters

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना की दूसरी लहर ने भारतीय इकोनॉमी को किस तरह से प्रभावित किया है, इसको लेकर पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने विस्तार से बताने की कोशिश की है। आरबीआइ के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर से वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही पर खास असर नहीं पड़ा है। मोटे तौर पर इसका कहना है कि पहली लहर में जितना आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था उससे कम ही नुकसान की संभावना इस बार है।

इसके बावजूद भविष्य के प्रभावों को लेकर आरबीआइ ज्यादा चिंतित नजर आ रहा है। खास तौर पर जिस तरह से आवागमन और रोजगार पर असर पड़ा है, उसे देख आरबीआइ ने कहा है कि आगे का रास्ता खतरों से भरा हुआ है। इसी महीने के पहले सप्ताह में आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर से इकोनॉमी को बचाने के लिए कुछ उपायों का एलान किया था।

आरबीआइ की सोमवार को जारी रिपोर्ट कहती है कि आगे भी कुछ उपायों की घोषणा होगी, इस बारे में विमर्श किया जा रहा है। यह भी संकेत हैं कि आगामी उपायों में पहले की तरह छोटे-मझोले उद्योगों को प्राथमिकता मिलेगी।

आरबीआइ ने साफ तौर पर कहा है कि देशव्यापी लॉकडाउन के मुकाबले स्थानीय लॉकडाउन ज्यादा कारगर हैं।आरबीआइ का आकलन है कि कोविड की दूसरी लहर ने भारत में मांग पर सबसे ज्यादा असर डाला है। वैसे पिछले महीने जीएसटी कलेक्शन रिकॉर्ड 1.41 लाख करोड़ रुपये रहा है लेकिन इसकी रफ्तार बनी रहने का भरोसा नहीं है।

अप्रैल में ई-वे बिल में 17.5 फीसद की गिरावट यह संकेत भी दे रही है। पेट्रोल व डीजल की बिक्री में लगातार कमी भी औद्योगिक गतिविधियों के घटने की तरफ संकेत करती है। अप्रैल मे पैसेंजर कारों की बिक्री में गिरावट और हवाई यात्रियों की संख्या में कमी होना भी यही बताते हैं। इसी तरह से बेरोजगारी की दर एक महीने के भीतर 6.5 फीसद से बढ़कर आठ फीसद (सीएमआइई की रिपोर्ट के मुताबिक) होना भी इकोनॉमी पर दबाव के संकेतक हैं।

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