अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 5.5 फीसद तक सिमटने का अनुमान, कोरोना काल में सरकार के वित्तीय प्रबंधन का दिखेगा असर

यस बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.2 फीसद के स्तर पर आ जाएगा। ब्लूमबर्ग ने राजकोषीय घाटा 5.5 फीसद तक रहने का अनुमान लगाया है। यस बैंक ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 7.5 फीसद तक रहने की बात कही है।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Sun, 24 Jan 2021 09:33 AM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 06:18 AM (IST)
अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 5.5 फीसद तक सिमटने का अनुमान, कोरोना काल में सरकार के वित्तीय प्रबंधन का दिखेगा असर
अगले सरकार की राजस्व प्राप्ति में भी 30 फीसद की बढ़ोतरी का अनुमान PC: ANI

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना काल में सरकार के वित्तीय प्रबंधन एवं आर्थिक विकास के उपायों का फायदा आगामी वित्त वर्ष में मिलता दिख रहा है। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.2 फीसद से 5.5 फीसद तक सिमट सकता है। सरकार की राजस्व प्राप्ति में भी 30 फीसद से अधिक की बढ़ोतरी का अनुमान है। सरकार के खर्च में 10 फीसद तक का इजाफा हो सकता है।

यस बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021-22 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.2 फीसद के स्तर पर आ जाएगा, वहीं ब्लूमबर्ग ने राजकोषीय घाटा 5.5 फीसद तक रहने का अनुमान लगाया है। यस बैंक ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 7.5 फीसद तक और ब्लूमबर्ग ने 6.65 फीसद तक रहने की बात कही है।

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगले वित्त वर्ष में जीडीपी की विकास दर ऊंची छलांग लगा सकती है, जिससे टैक्स से होने वाली प्राप्ति में 12-13 फीसद का इजाफा हो सकता है। आगामी वित्त वर्ष में विकास दर को लेकर ब्लूमबर्ग का अनुमान 16.9 फीसद और यस बैंक का अनुमान 13.5 फीसद है।

चालू वित्त वर्ष में भी हालात सुधरते दिख रहे हैं। आखिरी तिमाही में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद से चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में गिरावट 4.2 से 3.3 फीसद के बीच सिमटने की उम्मीद है।

ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्री अभिषेक गुप्ता के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में सख्त वित्तीय प्रबंधन के कारण सरकार चौथी तिमाही में टैक्स संग्रह में बढ़ोतरी होगी, जिससे खर्च बढ़ाने में मदद मिलेगी। खर्च में बढ़ोतरी की यह गति नए वित्त वर्ष में भी जारी रहेगी, जिससे टैक्स संग्रह भी बढ़ेगा, जो राजकोषीय घाटे को कम करने में मददगार होगा।

यस बैंक की अर्थशास्त्री राधिका पिपलानी के मुताबिक, आगामी वित्त वर्ष में इनकम टैक्स व कारपोरेट टैक्स में रिकवरी होगी और इनसे सरकार को पांच से छह लाख करोड़ रुपये मिल सकते हैं। चालू वित्त वर्ष में यह वसूली 4.5 लाख करोड़ तक रहने का अनुमान है। यस बैंक का यह भी मानना है कि सेवा क्षेत्र के कोरोना पूर्व की स्थिति में पहुंचने पर ही राजस्व का स्तर पूरी तरह से सामान्य हो सकेगा।

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