नए वैरिएंट ओमिक्रान का कहर, शेयर बाजार में अफरातफरी के बाद कच्चे तेल के दाम में गिरावट

ओमिक्रान की आशंका से मची अफरातफरी से शेयर बाजार के बाद कच्चे तेल के दाम में भी गिरावट देखी गई। एक दिन में ब्रेंट क्रूड के दाम में 11.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और इसकी कीमत प्रति बैरल 72.72 डालर के स्तर पर पहुंच गई।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 07:59 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 09:06 AM (IST)
नए वैरिएंट ओमिक्रान का कहर, शेयर बाजार में अफरातफरी के बाद कच्चे तेल के दाम में गिरावट
नए वैरिएंट ओमिक्रान का कहर, शेयर बाजार में अफरातफरी के बाद कच्चे तेल के दाम में गिरावट।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रान की आशंका से मची अफरातफरी से शेयर बाजार के बाद कच्चे तेल के दाम में भी गिरावट देखी गई। एक दिन में ब्रेंट क्रूड के दाम में 11.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और इसकी कीमत प्रति बैरल 72.72 डालर के स्तर पर पहुंच गई। वहीं, वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआइ) क्रूड के दाम में 13.1 प्रतिशत की गिरावट रही और यह प्रति बैरल 68.15 डालर के स्तर पर पहुंच गया। यूरोप और अमेरिका की तरफ से अंतरराष्ट्रीय यात्रा को सीमित करने और कुछ देशों में लाकडाउन जैसी स्थिति से अभी आगे भी कच्चे तेल के दाम में गिरावट जारी रहने की संभावना है।

ऐसे में भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम कम हो सकते हैं और महंगाई में और कमी आ सकती है। गत शुक्रवार को कोरोना के नए वैरिएंट की वजह से भारतीय शेयर बाजार में 1688 अकं की गिरावट दर्ज की गई। शेयर बाजार में भी अभी उथल-पुथल जारी रहने की आशंका है।दूसरी तरफ आगामी दो दिसंबर को आर्गनाइजेशंस आफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्ट कंट्रीज (ओपेक) के सदस्य देशों की बैठक होने वाली है, जहां तेल के उत्पादन को लेकर आगे की रणनीति तय की जाएगी। क्योंकि भारत, अमेरिका, जापान, कोरिया, चीन जैसे देशों ने कच्चे तेल के दाम को कम करने के लिए अपने भंडारण से तेल की खपत करने का फैसला किया है।

भारत और अमेरिका ओपेक से अपने उत्पादन बढ़ाने की गुजारिश कर चुके हैं ताकि कच्चे तेल के दाम में नरमी आ सके। भारत अपनी कुल खपत का 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है और कच्चे तेल के दाम बढ़ने से भारत के आयात बिल में बढ़ोतरी होती है और यह भारत में महंगाई को भी हवा देने का काम करती है।

नए वैरिएंट पर रहेगी ओपेक देशों की नजर

विशेषज्ञों के मुताबिक ओपेक की भी नजर कोरोना के नए वैरिएंट पर होगी और उसे ध्यान में रखते हुए ही ओपेक अपना फैसला लेगा। नए वैरिएंट से एक बार फिर से वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने की आशंका पैदा हो गई है, जिससे पेट्रोल व डीजल की खपत कम हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम कम होने पर घरेलू स्तर पर पेट्रोल व डीजल की उत्पादन लागत कम होने में 10-15 दिनों का समय लगता है।

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