सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मोरैटोरियम के दौरान ब्याज लेना गंभीर मामला; 12 जून को होगी अगली सुनवाई

शीर्ष अदालत ने कर्ज की किस्त के साथ ब्याज भी माफ करने की मांग पर सुनवाई 12 जून तक टाल दी है।

By Manish MishraEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 09:11 AM (IST) Updated:Sat, 06 Jun 2020 08:55 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मोरैटोरियम के दौरान ब्याज लेना गंभीर मामला; 12 जून को होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मोरैटोरियम के दौरान ब्याज लेना गंभीर मामला; 12 जून को होगी अगली सुनवाई

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने कर्ज की किस्त से राहत (मोरैटोरियम) के दौरान बैंक द्वारा कर्ज की किस्त पर ब्याज लेने के मामले को गंभीर मुद्दा कहा है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कर्ज की किस्त के साथ ब्याज भी माफ करने की मांग पर सुनवाई 12 जून तक टाल दी है। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का अनुरोध स्वीकार करते हुए इस मामले में वित्त मंत्रालय तथा आरबीआइ से जरूरी निर्देश लेने के लिए एक सप्ताह का समय दे दिया। ये आदेश न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने किस्त के साथ ही मोरिटोरियम के दौरान ब्याज भी माफ करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिए। 

पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने आरबीआइ और सरकार से याचिका का जवाब दाखिल करने को कहा था। आरबीआइ ने गत बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल करते हुए याचिका का विरोध किया। आरबीआइ ने हलफनामे में कहा कि ब्याज माफ करने से बैंकों की वित्तीय हालत खराब होगी। इस पर गुरुवार को याचिकाकर्ता के वकील राजीव दत्ता ने आरबीआइ के जवाब पर कहा कि यहां बैंकों के लाभ की बात हो रही है। जस्टिस अशोक ने कहा आर्थिक मुद्दा लोगों की सेहत से बढ़कर नहीं है।

मामले में सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि इस मामले में दो मुद्दे शामिल हैं। एक तो मोरैटोरियम के दौरान कोई ब्याज न लिया जाए और दूसरा ब्याज पर कोई ब्याज न लिया जाए। कोर्ट ने टिप्पणी की कि ये कोई सामान्य समय नहीं है। एक तरफ तो किस्त से छूट (मोरैटोरियम) दे रहे हो और दूसरी ओर ब्याज पर कुछ नहीं ये तो और भी नुकसानदेह है।

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