चीनी उद्योग को बिक्री मूल्य बढ़ाए जाने की आस, ढाई साल से नहीं बढ़ी एमएसपी, गन्ने का भुगतान करने में आ रही मुश्किलें

इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा का कहना है कि गन्ने का उचित व लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में वृद्धि के बावजूद न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) नहीं बढ़ाए जाने से उत्पादन लागत और बाजार मूल्य में असंतुलन बढ़ गया है।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 07:44 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 08:06 PM (IST)
चीनी उद्योग को बिक्री मूल्य बढ़ाए जाने की आस, ढाई साल से नहीं बढ़ी एमएसपी, गन्ने का भुगतान करने में आ रही मुश्किलें
Sugar MSP ( P C : Pixabay )

नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। गन्ना किसानों और चीनी उद्योग को चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य के बढ़ाए जाने की बेसब्री से प्रतीक्षा है। इसके अभाव में जहां मिलों की वित्तीय स्थिति डांवाडोल हो रही है तो गन्ना किसानों का भुगतान लंबित पड़ा है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने इस बाबत केंद्र सरकार से गुहार लगाई है। चालू पेराई सत्र में चीनी का उत्पादन 3.07 करोड़ तक पहुंचने का अऩुमान है, जो अब तक के लगाए अऩुमान से कहीं ज्यादा है। निर्यात मांग के साथ घरेलू बाजार में भी चीनी की मांग में इजाफा हुआ है। लेकिन घरेलू बाजार में कीमतों के नीचे रहने से हालात बहुत संतोषजनक नहीं है।

इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा का कहना है कि गन्ने का उचित व लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में वृद्धि के बावजूद न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) नहीं बढ़ाए जाने से उत्पादन लागत और बाजार मूल्य में असंतुलन बढ़ गया है। इससे चीनी मिलों के पास नकदी का संकट पैदा हो गया है, जिसका असर किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान पर पड़ रहा है। चीनी की एमएसपी फरवरी, 2019 में 31 रुपये प्रति किलो निर्धारित की गई थी। उसके बाद से दो पेराई सीजन में एमएसपी में संशोधन नहीं किया गया, जबकि गन्ना की एफआरपी में 10 रुपये प्रति ¨क्वटल की वृद्धि की जा चुकी है। एफआरपी 275 रुपये ¨क्वटल से बढ़ाकर 285 रुपये कर दी गई है।

चीनी की लागत में गन्ना प्रमुख तत्व होता है, जबकि इसके साथ अन्य कई खर्च भी शामिल होते हैं। चीनी एमएसपी में वृद्धि को लेकर मंत्री समूह ने जुलाई, 2020 में 33 रुपये प्रति किलो सिफारिश की थी। उसी समय नीति आयोग ने भी इसकी एमएसपी 33 रुपये करने को कहा था। जबकि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य सरकारों ने एमएसपी को 34 रुपये तक बढ़ाने का आग्रह किया था। इस्मा ने इसे 34.50 रुपये करने का अनुरोध किया था। लेकिन बात नहीं बनी। घरेलू बाजार में चीनी की खपत पिछले साल के मुकाबले अधिक निकल रही है।

उधर, चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर 2020 से लेकर 15 मई, 2021 तक कुल 3.03 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। यह पिछले पेराई सीजन के मुकाबले 38.28 लाख टन अधिक है। आगामी पखवारे तक चीनी का कुल उत्पादन 3.07 करोड़ टन हो जाने का अनुमान है। चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश एक बार फिर 1.08 करोड़ टन के साथ शीर्ष पर पहुंच गया है। जबकि 1.06 करोड़ टन के साथ महाराष्ट्र दूसरे पायदान पर है। बाकी चीनी उत्पादक राज्य कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और ओडिशा में पेराई सीजन समाप्त हो चुका है।

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