स्पेक्ट्रम को गिरवी नहीं रख सकते कर्जदाता : एनक्लैट
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनक्लैट) ने मंगलवार को कहा कि कर्ज के बोझ तले दबी कंपनियां स्पेक्ट्रम पर मालिकाना हक नहीं दिखा सकती हैं क्योंकि वह एक प्राकृतिक संसाधन है। अगर कंपनी ने उस स्पेक्ट्रम के बदले सरकार को उचित शुल्क का भुगतान कर दिया हो
नई दिल्ली, पीटीआइ। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनक्लैट) ने मंगलवार को कहा कि कर्ज के बोझ तले दबी कंपनियां स्पेक्ट्रम पर मालिकाना हक नहीं दिखा सकती हैं, क्योंकि वह एक प्राकृतिक संसाधन है। अगर कंपनी ने उस स्पेक्ट्रम के बदले सरकार को उचित शुल्क का भुगतान कर दिया हो, तो इस बारे में विचार किया जा सकता है।
एनक्लैट का यह फैसला इस मायने में ऐतिहासिक है कि इस वक्त कई टेलीकॉम कंपनियां दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही हैं। एनक्लैट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कर्जदाताओं से भी कहा है कि वे इंसॉल्वेंसी प्रक्रिया से गुजर रही टेलीकॉम कंपनियों के स्पेक्ट्रम को गिरवी की तरह नहीं रख सकते हैं।
अपने फैसले में एनक्लैट ने साफ किया है कि टेलीकॉम कंपनियों को जिस स्पेक्ट्रम का लाइसेंस दिया गया है, उसका उपयोग करने का उन्हें पूरा अधिकार है। लेकिन टेलीकॉम कंपनियां उस स्पेक्ट्रम पर मालिकाना हक नहीं जता सकती हैं, बल्कि सिर्फ व्यावसायिक उपयोग का अधिकार रखती हैं। एनक्लैट के मुताबिक स्पेक्ट्रम प्राकृतिक संसाधन है और सरकार उसकी संरक्षक है।