बकाया बिल के बदले NBFC से कर्ज ले सकेंगी छोटी कंपनियां, MSME का नकदी संकट दूर होने में मिलेगी मदद
गुरुवार को राज्यसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह विधेयक पारित होने से एमएसएमई का नकदी संकट एक हद तक दूर होगा और कंपनियां आसानी से परिचालन पूंजी जुटा सकेंगी। फैक्ट¨रग कानून में यह प्रविधान है
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। MSME अब अपने खरीदार के बकाया बिल के आधार पर लगभग 9,000 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से कर्ज ले सकेंगे। अभी एमएसएमई क्षेत्र की कंपनियां सिर्फ सात बैंकों से इस प्रकार का कर्ज ले सकती हैं। फैक्टरिंग कानून संशोधन बिल के संसद के दोनों सदनों से पारित होने से एमएसएमई को यह सुविधा मिलेगी। इसी सप्ताह लोकसभा से पारित इस विधेयक को राज्यसभा ने भी गुरुवार को पारित कर दिया।
गुरुवार को राज्यसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह विधेयक पारित होने से एमएसएमई का नकदी संकट एक हद तक दूर होगा और कंपनियां आसानी से परिचालन पूंजी जुटा सकेंगी। फैक्ट¨रग कानून में यह प्रविधान है कि अगर एमएसएमई क्षेत्र की कंपनियां किसी ग्राहक को अपना सामान उधार में बेचती हैं तो उस उधार के बिल के आधार पर वे एनबीएफसी से कर्ज ले सकेंगी।
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उसके बाद कर्जदाता संस्थान उस ग्राहक से बकाया वसूली करेगा। इस सुविधा को व्यापक रूप देने के लिए सरकार फैक्ट¨रग बिल में संशोधन करना चाह रही थी, ताकि सभी एनबीएफसी एमएसएमई को उनके बकाया बिल के आधार पर कर्ज दे सके।इस विधेयक के कानून का रूप ले लेने के बाद घरेलू निर्माताओं और निर्यातकों को परिचालन पूंजी की कमी नहीं रहेगी।
वहीं, कर्ज देने के लिए तैयार 9,000 एनबीएफसी की आपसी स्पर्धा के चलते कंपनियों को कर्ज पर ब्याज भी कम देना पड़ेगा। एमएसएमई की नकदी की समस्या को दूर करने के उपाय सुझाने के लिए वर्ष 2019 में आरबीआइ ने यूके सिन्हा कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने फैक्ट¨रग कानून, 2011 में संशोधन की सिफारिश की थी। भारत में एमएसएमई की कुल उधारी में फैक्ट¨रग उधारी की हिस्सेदारी मात्र 2.6 फीसद है। चीन में फैक्ट¨रग प्रणाली के तहत 11.2 फीसद कर्ज एमएसएमई को दिए जाते हैं।