चीनी अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत, 28 सालों के निचले स्तर पर GDP
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक चीन को फिलहाल कर्ज की स्थिति को संतुलित करने के साथ ही विकास दर को मजबूत करने की चुनौती से जूझना होगा।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ रही है। बीजिंग ने सोमवार को बताया कि 2018 की आखिरी तिमाही में देश की जीडीपी कम होकर 6.6 फीसद हो गई, जो 28 सालों का सबसे कमजोर ग्रोथ रेट है।
चीनी जीडीपी के आंकड़ें हालांकि विश्लेषकों के अनुमान के मुताबिक ही हैं, जिसमें उन्होंने इसका जिक्र किया था। हालांकि आखिरी तिमाही में देश का जीडीपी ग्रोथ रेट वहां के आधिकारिक अनुमान 6.5 फीसद से अधिक रहा है। चीन की अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती का असर विश्वव्यापी हो सकता है।
इससे अमेरिकी एपल, यूरोप की ऑटोमोबिल कंपनियां और ऑस्ट्रेलिया की माइनिंग इंडस्ट्री पर उल्टा असर पड़ेगा। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक चीन को फिलहाल कर्ज की स्थिति को संतुलित करने के साथ ही विकास दर को मजबूत करने की चुनौती से जूझना होगा।
हालांकि दिसबंर 2018 में चीन का औद्योगिक उत्पादन 5.7 फीसद रहा है, जो आधिकारिक अनुमान 5.3 फीसद से अधिक है।
चीन के नीति निर्माताओं ने इस साल अर्थव्यस्था को सपोर्ट देने के लिए कई राहत उपायों को लागू किए जाने का वादा किया है। हालांकि उन्होंने किसी प्रोत्साहन पैकेज को देने की संभावना से इनकार किया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने टोक्यो के डाइवा इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च के चीफ रिसर्चर नाओटो सैटो के हवाले से बताया है, 'सरकार को अर्थव्यवस्था को समर्थन देना ही होगा। वह इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च को बढ़ा सकते हैं और बैंक के रिजर्व रखे जाने की मात्रा को कम कर सकते हैं। इसलिए हमें पूंजीगत खर्च को लेकर चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है।'
उन्होंने कहा, 'समस्या खपत को लेकर है। चीन और अमेरिका कई मुद्दों पर आमने-सामने हैं, इसलिए कंज्यूमर सेंटीमेंट पर असर हुआ है।'
गौरतलब है कि चीन और अमेरिका के बीच फिलहाल ट्रेड वॉर को लेकर शांति है क्योंकि दोनों देशों के राष्ट्रपति ने आपसी मतभेदों को सुलझाने की कोशिश की है। 30 जनवरी को दोनों देशों के अधिकारियों की वाशिंगटन डीसी में बैठक है। ट्रेड वॉर की वजह से दोनों देशों ने एक दूसरे के सामानों पर अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने की घोषणा की थी।
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