COVID-19 की दूसरी लहर : Nomura, Moody's ने घटाया विकास दर का अनुमान, कहीं ये खास बातें

जापान की ब्रोकरेज कंपनी Nomura और Moodys ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि से जुड़े अपने पूर्व के अनुमानों में संशोधन किया। नोमुरा और मूडीज ने देश की विकास दर की वृद्धि से जुड़े पहले के अनुमानों को घटा दिया है।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 07:12 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 08:52 PM (IST)
COVID-19 की दूसरी लहर : Nomura, Moody's ने घटाया विकास दर का अनुमान, कहीं ये खास बातें
Nomura ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 10.8 फीसद पर रह सकती है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। जापान की ब्रोकरेज कंपनी Nomura और Moody's ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि से जुड़े अपने पूर्व के अनुमानों में संशोधन किया। नोमुरा और मूडीज ने देश की विकास दर की वृद्धि से जुड़े पहले के अनुमानों को घटा दिया है। Nomura ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 10.8 फीसद पर रह सकती है। इससे पहले ब्रोकरेज कंपनी ने 12.6 फीसद की दर से देश की इकोनॉमी के आगे बढ़ने की संभावना जतायी थी। मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने भी चालू वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर से जुड़े अनुमान को घटाकर 9.3 फीसद कर दिया है। इससे पहले मूडीज ने वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की इकोनॉमी में 13.7 फीसद के उछाल का अनुमान जाहिर किया था।  

नोमुरा और मूडीज ने कोविड-19 की दूसरी लहर और उस वजह से लागू लॉकडाउन के चलते विकास दर से जुड़े अनुमान में संशोधन किया है।  

भारत में एक दिन में कोविड-19 संक्रमण के चार लाख से ज्यादा नए मामले सामने आए। साथ ही इस महामारी की वजह से एक दिन में करीब 4,000 लोगों की मौत हो गई। इस वजह से 20 से ज्यादा राज्यों को लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगानी पड़ी हैं।  

आरबीआई के मौजूदा अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2021-22 में देश की इकोनॉमी 10.5 फीसद की दर से आगे बढ़ सकती है। केंद्रीय बैंक ने बेस इफेक्ट की वजह से इकोनॉमी में इस वृद्धि का अनुमान जाहिर किया है। 

दूसरी ओर कुछ विश्लेषकों ने आगाह किया है कि अगर दूसरी लहर जून में चरम पर पहुंचती है तो चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर घटकर 8.2 फीसद पर आ सकती है।

मूडीज ने कहा है कि भारत कोविड-19 की भयावह दूसरी लहर के चपेट में है। इससे आने वाले कुछ समय में आर्थिक रिकवरी की रफ्तार सुस्त पड़ जाएगी। साथ ही लंबी अवधि में वृद्धि से जुड़े पहलुओं पर भी असर देखने को मिला।

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