रुपये ने दिन की शुरुआत में ही लगाया गोता, 72.91 पर पहुंची एक डॉलर की कीमत
मंगलवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 72.74 के ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बुधवार के कारोबार में रुपये ने एक बार फिर से गोता लगाया। दिन के शुरुआती कारोबार में रुपया डॉलर के मुकाबले 22 पैसे टूटकर 72.91 के स्तर पर पहुंच गया। गौरतलब है कि मंगलवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 72.69 पर बंद हुआ था। माना जा रहा है कि रुपये में इस गिरावट के पीछे तेल की बढ़ती कीमतें और विदेशी फंड की निकासी जिम्मेदार है।
ट्रेड वार की गहराती आशंकाओं के चलते बैंक और आयातकों की ओर से डॉलर की लगातार मांग, विशेषकर तेल रिफाइनर्स की ओर से, ने रुपये को दबाव में ला दिया है। मंगलवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 72.74 के ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था। दिन के 10 बजकर 48 मिनट पर रुपया 72.78 पर कारोबार कर रहा था।
क्या कहते है विशेषज्ञ?
केडिया कमोडिटी के प्रमुख अजय केडिया ने बताया कि रुपये की स्थिति अभी भी चिंताजनक है। अगर सितंबर तिमाही की बात करें तो रुपया 73.67 से 74 की रेंज में कारोबार करता नजर आ सकता है। वहीं अगर साल 2018 की बात करें तो रुपया 75 का स्तर भी छू सकता है।
रुपये में गिरावट के बड़े कारण: कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड के रिसर्च हेड डॉ रवि सिंह ने बताया कि रुपये में गिरावट के प्रमुख कारण निम्न हैं.. चीन और अमेरिका के बीच जारी ट्रेड वॉर से डॉलर मजबूत हो रहा है जो कि सीधे तौर पर रुपये पर असर डाल रहा है। आरबीआई अभी तक करीब 22 बिलियन डॉलर का फॉरेक्स रिजर्व का इस्तेमाल कर चुका है ताकि रुपये की स्थिति संभले लेकिन हालात अभी नहीं सुधरे हैं। स्टॉक मार्केट में भी तेजी जारी है जिससे एफआईआई प्रॉफिट बुकिंग कर रहे हैं और बाजार से डॉलर खींच रहे हैं। क्रूड की बढ़ती कीमतें भी रुपये की इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं।
डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट को थामने के लिए क्या कुछ कुछ कर सकती है सरकार: अगर तुरंत प्रभाव से कोई एक्शन लेना हो तो सरकार अपने विदेशी मुद्रा भंडार में जमा डॉलर की निकासी कर सकती है और रुपये की ढहती स्थिति को थोड़ा सहारा दे सकती है। सरकार एनआरआई डिपॉजिट स्कीम शुरु कर सकती है, जिससे कि एनआरआई अपने पास जमा डॉलर को डिपॉजिट करना शुरू कर देंगे और भारत में डॉलर आ जाएगा। इससे भी रुपया सुधर सकता है। सरकार इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ा सकती है। हमारे देश में गोल्ड, रिफाइनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स का ज्यादा आयात होता है। इन पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने से इन उत्पादों का आयात कम होगा लिहाजा देश से डॉलर कम निकलेगा। सरकार निर्यात को बढ़ावा भी दे सकती है। निर्यात को बढ़ावा देने से देश में तेजी से डॉलर आएगा जो कि भारतीय रुपये को मजबूती दे सकता है।