सितंबर महीने में खेतिहर मजदूरों और ग्रामीण श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई में दर्ज हुई गिरावट

खेतिहर मजदूरों और ग्रामीण श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई में कमी आई है। सितंबर महीने में खेतिहर मजदूरों के लिए खुदरा महंगाई घटकर 6.25 फीसद और ग्रामीण श्रमिकों के लिए 6.1 फीसद रही। हालांकि खाद्य पदार्थों की कीमतें उच्च बनी रहीं।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 05:54 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 06:39 PM (IST)
सितंबर महीने में खेतिहर मजदूरों और ग्रामीण श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई में दर्ज हुई गिरावट
खुदरा महंगाई के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर PC: Pexels

नई दिल्ली, पीटीआइ। खेतिहर मजदूरों और ग्रामीण श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई में कमी आई है। सितंबर महीने में खेतिहर मजदूरों के लिए खुदरा महंगाई घटकर 6.25 फीसद और ग्रामीण श्रमिकों के लिए 6.1 फीसद रही। हालांकि, खाद्य पदार्थों की कीमतें उच्च बनी रहीं। खेतिहर मजदूरों और ग्रामीण श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई दर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-कृषि श्रमिक (CPI-AL) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-ग्रामीण श्रमिक (CPI-RL) के संदर्भ में मापी जाती है।

श्रम मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि खेतिहर मजदूरों के लिए खुदरा महंगाई दर सितंबर में घटकर 6.25 फीसद और ग्रामीण श्रमिकों के लिए 6.1 फीसद रही, जो इससे पहले अगस्त महीने में क्रमश: 6.32 फीसद और 6.28 फीसद थी। 

मंत्रालय ने बयान में कहा कि सूचकांकों में बढ़त राज्यों के हिसाब से अलग-अलग रही है। कृषि श्रमिकों के मामले में इसने 20 राज्यों में 1 से 23 अंक तक बढ़त दर्ज की। बयान के अनुसार, तमिलनाडु 1,234 अंक के साथ सूचकांक में शीर्ष पर रहा। वहीं, हिमाचल प्रदेश 816 अंक के साथ सबसे नीचे रहा।

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खेतिहर मजदूरों के लिए सीपीआई के आंकड़ों में सबसे अधिक वृद्धि हिमाचल प्रदेश में 23 अंकों की देखी गई। वहीं, ग्रामीण श्रमिकों के मामले में जम्मू कश्मीर में 20 अंकों की बढ़त देखी गई। यह मुख्य रूप से गेहूं आटा, दाल, सरसों तेल, दूध, प्याज, सूखी मिर्च, लहसुन, अदरक, नाई की दरें, बस किराया, सब्जी, फलों के दाम आदि में वृद्धि के कारण है।

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