फॉर्च्यून ग्लोबल 500 लिस्ट: RIL ने IOC को पछाड़ा, बनी सबसे ऊंची रैंकिंग वाली भारतीय कंपनी

वेदांता लिमिटेड 2019 की सूची में तीन स्थान खिसककर 18 वें स्थान पर आ गया।

By NiteshEdited By: Publish:Mon, 16 Dec 2019 04:44 PM (IST) Updated:Mon, 16 Dec 2019 05:22 PM (IST)
फॉर्च्यून ग्लोबल 500 लिस्ट: RIL ने IOC को पछाड़ा, बनी सबसे ऊंची रैंकिंग वाली भारतीय कंपनी
फॉर्च्यून ग्लोबल 500 लिस्ट: RIL ने IOC को पछाड़ा, बनी सबसे ऊंची रैंकिंग वाली भारतीय कंपनी

नई दिल्ली, पीटीआइ। रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) को पछाड़कर फॉर्च्यून इंडिया 500 सूची में शीर्ष स्थान पर पहुंच गई है। बता दें कि 10 साल से इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन भारत की सबसे बड़ी कंपनी के तौर पर काबिज थी। फॉर्च्यून इंडिया ने कहा कि 2018-19 में 5.81 लाख करोड़ रुपये के राजस्व के साथ मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली समूह ने आईओसी की जगह ली है।

सरकार के स्वामित्व वाली तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) 2018 में तीसरे स्थान पर थी। इसके बाद भारतीय स्टेट बैंक, टाटा मोटर्स और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के बीच रैंकिंग में 2018- 2019 में कोई बदलाव नहीं किया गया। राजेश एक्सपोर्ट्स 2019 की सूची में 7वें स्थान पर रहा है, इसी तरह टाटा स्टील, कोल इंडिया, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और लार्सन एंड टुब्रो भी क्रमशः 8वें, 9वें, 10वें और 11वें स्थान पर रहे। आईसीआईसीआई बैंक 12वें स्थान पर रहा, इसके बाद हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और एचडीएफसी बैंक का स्थान है।

वेदांता लिमिटेड 2019 की सूची में तीन स्थान खिसककर 18 वें स्थान पर आ गया। फॉर्च्यून इंडिया ने कहा कि आरआईएल ने वित्त वर्ष 2018-19 में अपने राजस्व में 41.5 फीसद की वृद्धि दर्ज की है। आरआईएल का 2018-19 का राजस्व 5.81 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि ठीक उसी अवधि में आईओसी ने बिक्री में 26.6 फीसद की वृद्धि दर्ज की, जो 5.36 लाख करोड़ रुपये रही। 2018-19 के लिए आरआईएल का लाभ भी आईओसी के दोगुने से अधिक 39,588 करोड़ रुपये था।

कुल मिलाकर फार्च्यूयन इंडिया- 500 कंपनियों का राजस्व 2019 में 9.53 फीसद बढ़ गया जबकि मुनाफा 11.8 फीसद बढ़ा है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बीच विलय, सार्वजनिक उपक्रमों में विलय सहित अन्य कारणों से 57 कंपनियां इस सूची से बाहर हो गई। इस दौरान फार्च्यूयन 500 कंपनियों का कुल घाटा कम हुआ है। 65 कंपनियों का कुल घाटा 1.67 लाख करोड़ रुपये रहा जो कि इससे पिछले वर्ष में दो लाख करोड़ रुपये था।

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