टूट गई Rcom-Jio डील, 15 महीनों तक चली बातचीत का नहीं निकला नतीजा

इस डील के लिए आरकॉम को 40 विदेशी और देसी बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों से मंजूरी नहीं मिल पाई। इसके साथ ही टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने भी इस डील को मंजूरी नहीं दी।

By Abhishek ParasharEdited By: Publish:Mon, 18 Mar 2019 09:15 PM (IST) Updated:Tue, 19 Mar 2019 08:36 AM (IST)
टूट गई Rcom-Jio डील, 15 महीनों तक चली बातचीत का नहीं निकला नतीजा
टूट गई Rcom-Jio डील, 15 महीनों तक चली बातचीत का नहीं निकला नतीजा

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क/एजेंसी)। करीब 15 महीनों की जद्दोजहद के बाद रिलायंस कम्युनिकेशंस और जियो के बीच होने वाली डील रद्द हो गई है। स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में रिलायंस कम्युनिकेशंस ने कहा है, 'करीब 15 महीने पहले समझौता होने के बाद कई नए कारण और शर्तों की वजह से डील को पूरा करना संभव नहीं है।'

इस डील के लिए आरकॉम को 40 विदेशी और देसी बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों से मंजूरी नहीं मिल पाई। इसके साथ ही टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने भी इस डील को मंजूरी नहीं दी।

इसके अलावा इस डील के टूटने का कारण रिलायंस कम्युनिकेशंस बोर्ड की एक फरवरी को हुई बैठक रही, जिसमें कंपनी के कर्ज की समस्या के समाधान के लिए नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

दिसंबर 2017 में आरकॉम ने रिलायंस जियो के साथ स्पेक्ट्रम बिक्री, टावर, फाइबर और मीडिया कनवर्जेंस नोड्स समेत अन्य संपत्तियों की बिक्री की डील की थी। कंपनी के ऊपर करीब 46,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।

गौरतलब है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए स्वीडिश टेलीकॉम कंपनी एरिक्सन के 458.77 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। इस भुगतान के साथ ही अनिल अंबानी के जेल जाने की संभावना खत्म हो गई है। 

क्या थी Rcom-Jio डील: कर्ज को कम करने की कोशिशों के तहत अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस ने दिसंबर 2017 में रिलांयस जियो के साथ 250 अरब रुपये की स्पेक्ट्रम बिक्री की डील पर हस्ताक्षर किया था। रिलायंस जियो, रिलांयस इंडस्ट्रीज का स्टार्टअप है, जिसकी कमान मुकेश अंबानी के हाथों में है।

इस डील में विभिन्न बैंकों के पास बंधक रखी गई संपत्ति की बिक्री भी शामिल थी, ताकि रिलायंस कम्युनिकेशंस के खिलाफ चल रही दीवाला प्रक्रिया को खत्म किया जा सके। कंपनी को अपने वायरलेस असेट्स और रियल एस्टेट की बिक्री से 180 अरब रुपये मिलने की उम्मीद थी।

इस डील को पूरा करने के लिए तय की गई सुप्रीम कोर्ट की शर्त का पालन करते हुए रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) 1400 करोड़ रुपये की कॉरपोरेट गारंटी भी जमा करा दी थी, लेकिन टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने इस डील को मंजूरी नहीं दी।

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