RBI की Monetary Policy आज पेश करेंगे गवर्नर Shaktikanta Das, महंगाई अधिक होने के बावजूद विकास दर पर रहेगा फोकस
अभी ब्याज दरों को कम रखना जरूरी है ताकि दोपहिया वाहनों व दूसरे उद्योगों में मांग बढ़ाने में मदद मिले। छोटे व मझोले उद्योगों को पटरी पर लाने के लिए भी ब्याज दरों का नीचे रहना अभी जरूरी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य फिर उसी यक्ष प्रश्न का उत्तर तलाशने की कोशिश कर रहे हैं कि महंगाई को थामने के लिए ब्याज दरों को बढ़ाया जाए या फिर आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए ब्याज दरों को नरम ही रखा जाए। दो दिनों से मंथन चल रहा है। इस बारे में बनी सहमति की घोषणा आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास शुक्रवार को करेंगे। आर्थिक विशेषज्ञों व शोध एजेंसियों का कहना है कि महंगाई के तेवर देखने के बावजूद एमपीसी की तरफ से कम से कम अगले पांच-छह महीनों तक ब्याज दरों को स्थिर रखने की ही कोशिश होगी, ताकि कोरोना की लहर से अर्थव्यवस्था को उबारने की कोशिशों को कोई धक्का नहीं लगे।
गुरुवार को यस बैंक की तरफ से जारी आर्थिक रिपोर्ट में कहा गया है कि जून, 2021 की एमपीसी की बैठक के बाद महंगाई की स्थिति बिगड़ी है। हालांकि हमारा अनुमान है कि अगले कुछ महीनों में यह कम होने लगेगी। अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कीमतों में स्थिरता आ गई है और आयातित वस्तुओं के कारण महंगाई का खतरा काफी कम हो गया है। वैसे बाजार (बैं¨कग व्यवस्था) में तरलता (फंड की उपलब्धता) की स्थिति काफी अच्छी है। तरलता को कम करने का कोई भी कदम काफी सोचसमझ कर उठाना होगा कि कहीं इसका उलटा असर न हो।
कोरोना की दूसरी लहर के बाद आर्थिक रिकवरी का दौर अभी चल रहा है। ऐसे में उम्मीद है कि आरबीआइ आर्थिक विकास दर को बढ़ाने में मदद करेगा और ब्याज दरों को लेकर नरम रवैया अपनाएगा। जून, 2021 की समीक्षा में अल्पकालिक अवधि के कर्ज की दरों को प्रभावित करने वाली वैधानिक दरों को आरबीआइ ने स्थिर रखा था। रेपो रेट अभी चार फीसद पर है। हाल के दिनों में अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक समेत कई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक एजेंसियों ने वर्ष 2021-22 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर के लक्ष्य को घटा दिया है।
दो महीने पहले की समीक्षा में आरबीआइ गवर्नर ने वादा किया था कि अगर जरूरत पड़ी तो ब्याज दरों को नीचे लाने का भी कदम उठाया जा सकता है। श्रीराम सिटी यूनियन फाइनेंस के एमडी व सीईओ वाईएस चक्रवर्ती का कहना है कि मार्च, 2021 के बाद से अधिकांश सेक्टर में मांग की स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ है। अभी ब्याज दरों को कम रखना जरूरी है ताकि दोपहिया वाहनों व दूसरे उद्योगों में मांग बढ़ाने में मदद मिले। छोटे व मझोले उद्योगों को पटरी पर लाने के लिए भी ब्याज दरों का नीचे रहना अभी जरूरी है।