RBI की MPC की बैठक इसी सप्ताह, जानें ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं को लेकर एक्सपर्ट्स की राय

CII के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए आरबीआई को नियामकीय स्तर पर छूट देनी चाहिए।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Sun, 02 Aug 2020 05:23 PM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2020 05:13 PM (IST)
RBI की MPC की बैठक इसी सप्ताह, जानें ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं को लेकर एक्सपर्ट्स की राय
RBI की MPC की बैठक इसी सप्ताह, जानें ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं को लेकर एक्सपर्ट्स की राय

मुंबई, पीटीआइ। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की इस सप्ताह अहम बैठक होने वाली है। इस बैठक में नीतिगत दरों पर निर्णय किया जाएगा। MPC की यह बैठक ऐसे समय में होने वाली है, जब कोरोनावायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था को रिवाइव करने के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत है। वहीं, उद्योग मंडल कॉरपोरेट लोन की रिस्ट्रक्चरिंग की मांग कर रहे हैं। हालांकि, इस सप्ताह होने वाली बैठक में एक बार भी ब्याज दरों में कटौती की संभावना को लेकर विशेषज्ञों एकमत नहीं हैं और उनका मानना है कि कोविड-19 की वजह से उत्पन्न आर्थिक दिक्कतों को दूर करने के लिए मौजूदा परिस्थितियों में कॉरपोरेट लोन रिस्ट्रक्चरिंग ज्यादा आवश्यक है। 

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली MPC की बैठक चार अगस्त को शुरू होगी और 6 अगस्त को इसके द्वारा लिए गए निर्णयों का एलान किया जाएगा।  

केंद्रीय बैंक कोविड-19 महामारी और उसकी वजह से लागू लॉकडाउन के कारण इकोनॉमी को होने वाले नुकसान को सीमित करने के लिए विशेष सक्रियता के साथ कदम उठाते रहा है। उल्लेखनीय है कि तेजी से बदलते वृहद आर्थिक माहौल और वृद्धि को लेकर बिगड़ते परिदृश्य की वजह से MPC की बैठक मार्च और मई में निर्धारित कार्यक्रम से पहले हुई।  

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एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट 'Ecowrap' में कहा गया है कि फरवरी से लेकर अब तक रेपो रेट में 1.15 फीसद की कटौती हो चुकी है। बैंक नए लोन के लिए पहले ही ब्याज दरों में 0.72 फीसद की कटौती कर चुके हैं। बड़े बैंक ब्याज दर में 0.85 फीसद तक की कटौती कर चुके हैं।  

रिपोर्ट में कहा गया है, ''हमारा मानना है कि अगस्त में दरों में कटौती होने की संभावना नहीं है।'' 

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई 6 अगस्त को रेपो रेट में 0.25 फीसद तक की कटौती कर सकता है।  

दूसरी तरफ मांस, मछली और दाल इत्यादि के दाम में तेजी की वजह से खाद्य वस्तुओं की दाम में वृद्धि हुई है और इस वजह से खुदरा मुद्रास्फीति जून में 6.09 फीसद के आंकड़े पर पहुंच गई। केंद्रीय बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति को 2-6 फीसद के बीच रखने का लक्ष्य तय किया है। मौद्रिक नीति के निर्धारण में खुदरा मुद्रास्फीति की भूमिका अहम होती है।  

PwC India में पार्टनर और लीडर (फाइनेंस रिस्क एंड रेगुलेशन) कुंतल सूर ने कहा कि दरों को लेकर MPC की नीति उदार रही है और पिछले एक साल में उसने रेपो रेट में 1.35 फीसद की कटौती की है। 

सूर ने कहा कि वृद्धि से जुड़ी प्राथमिकता को देखते हुए हमें उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक का नरम रुख जारी रहेगा। हालांकि, सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी की उपलब्धता और दरों के ट्रांसमिशन की वजह से दरों में कटौती रूक सकती है। 

CII के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए आरबीआई को नियामकीय स्तर पर छूट देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं को टर्म लोन को एक बार रिस्ट्रक्चर करने का समय दिया जाना चाहिए। इससे कंपनियां वापस प्रगति के रास्ते पर आ सकेंगी।  

लक्ष्मीकुमारन एंड श्रीधरन में पार्टनर गौरव दयाल SBI Ecowrap के रुख से सहमत दिखे और कहा कि आगामी बैठक में MPC नीतिगत दरों को यथावत रख सकती है। 

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