Paytm Payments Bank पर RBI ने लगाया 1 करोड़ रुपए का जुर्माना, Western Union Financial Services पर भी लगी पेनाल्‍टी

RBI ने Paytm Payments Bank Limited पर 1 करोड़ का और Western Union Financial Services पर 27.78 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इन दोनों पर यह जुर्माना कुछ निर्देशों का पालन न करने पर लगाया गया है।

By Abhishek PoddarEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 09:49 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 09:49 AM (IST)
Paytm Payments Bank पर RBI ने लगाया  1 करोड़ रुपए का जुर्माना, Western Union Financial Services पर भी लगी पेनाल्‍टी
RBI ने लगाया Paytm पर 1 करोड़ का जुर्माना

नई दिल्ली, पीटीआइ। Reserve Bank Of India(RBI) की तरफ से कुछ निर्देशों का पालन न करने पर दो कंपनियों पर जुर्माना लगया गया है। RBI द्वारा Paytm Payments Bank Limited (PPBL) पर 1 करोड़ रुपये का और Western Union Financial Services पर 27.78 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

RBI ने बुधवार को एक विज्ञप्ति जारी करते हुए यह कहा था कि, "अंतिम प्राधिकरण प्रमाणपत्र (सीओए) जारी करने के लिए Paytm Payments Bank के आवेदन की जांच करने पर, यह पाया गया कि उसने ऐसी जानकारी प्रस्तुत की थी जो तथ्यात्मक स्थिति को नहीं दर्शाती थी। चूंकि, यह भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 26 (2) के तहत अपराध की श्रेणी में आता है, जिस कारण से PPBL को एक नोटिस जारी किया गया था।"

"व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान लिखित प्रतिक्रियाओं और कंपनी द्वारा बयानों की समीक्षा करने के बाद, PPBL ने निर्धारित किया कि आरोप सही हैं। जिस कारण से कंपनी पर जुर्माना लगाया जाना जरूरी था। इसके बाद, केंद्रीय बैंक ने 1 अक्टूबर को एक आदेश द्वारा PPBLपर 1 करोड़ रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगाया गया।"

वहीं अगर Western Union Financial Services की बात की जाए तो, इसके बारे में RBI ने यह बताया कि, "कंपनी ने 2019 और 2020 के दौरान प्रति लाभार्थी 30 रेमिटेंस तक सीमा के उल्लंघन की सूचना दी थी, और उल्लंघन की कंपाउंडिंग के लिए एक आवेदन दायर किया था।"

इस बारे में RBI ने यह बताया कि, "गैर-अनुपालन के लिए कंपाउंडिंग आवेदन और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए कंपनी के बयान का विश्लेषण करने के बाद इस कंपनी पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।" हालांकि, RBI ने यह भी कहा कि, "दंड नियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य अपने ग्राहकों के साथ संस्थाओं द्वारा किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर निर्णय करना नहीं है।"

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