सतत वृद्धि के लिए स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे में अधिक निवेश की जरूरत: दास
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि महामारी के बाद सतत आर्थिक वृद्धि के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश तथा श्रम एवं उत्पाद बाजारों में सुधारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि महामारी के बाद सतत आर्थिक वृद्धि के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश तथा श्रम एवं उत्पाद बाजारों में सुधारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। एआइएमए राष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन को संबोधित करते हुए दास ने सतत वृद्धि और रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए स्वास्थ्य शिक्षा, डिजिटल क्षेत्र में ढांचागत सुविधाओं में निवेश बढ़ाने की वकालत की।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने उभरते और विकासशील देशों में सबसे ज्यादा गरीब और वंचित तबकों को प्रभावित किया है। दास ने कहा, हमारा प्रयास महामारी के बाद रहने योग्य और टिकाऊ वृद्धि सुनिश्चित करने का होना चाहिए। आने वाले समय में निजी खपत को टिकाऊ रूप से पटरी पर लाना महत्वपूर्ण होगा। यह ऐतिहासिक रूप से समग्र मांग का मुख्य आधार रहा है।'
आरबीआइ गवर्नर के अनुसार इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि सतत वृद्धि मध्यम अवधि के निवेश, मजबूत वित्तीय प्रणाली और संरचनात्मक सुधारों के साथ आगे बढ़नी चाहिए।उन्होंने कहा, इस उद्देश्य के लिए स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, नवोन्मेष, भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश को गति देने की जरूरत है। हमें प्रतिस्पर्धा और गतिशीलता को प्रोत्साहित करने और महामारी से उत्पन्न अवसरों से लाभ उठाने के लिए श्रम एवं उत्पाद बाजारों में सुधारों को जारी रखा चाहिए।
आरबीआइ ने 21 सहकारी बैंकों से खाताधारकों की सूची बनाने को कहा
भारतीय रिजर्व बैंक की सहायक इकाई जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (डीआइसीजीसी) ने एक नए कानून के तहत पीएमसी बैंक सहित 21 संकटग्रस्त सहकारी बैंकों से उन खाताधारकों की सूची तैयार करने को कहा है, जो 90 दिनों के भीतर पांच लाख रुपये पाने के पात्र हैं।
संसद ने पिछले महीने जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया था, जिसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि आरबीआइ द्वारा बैंकों पर स्थगन लागू करने के 90 दिनों के भीतर खाताधारकों को पांच लाख रुपये मिलें। यह कानून एक सितंबर 2021 से लागू हुआ है, और 90 दिनों की समयावधि 30 नवंबर 2021 को पूरी होगी।
इस समय 21 ऐसे सहकारी बैंक हैं, जो आरबीआइ के स्थगन के तहत हैं। इसलिए इन बैंकों के खाताधारक पिछले महीने पारित कानून के तहत आते हैं। इन 21 बैंकों में 11 महाराष्ट्र के हैं, पांच कर्नाटक से हैं, जबकि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, केरल और राजस्थान से एक-एक बैंक हैं।