कोविड-19 पिछले 100 साल का सबसे बड़ा स्वास्थ्य एवं आर्थिक संकट हैः आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास

देश के केंद्रीय बैंक ने कोरोनावायरस की वजह से उपजे संकट को देखते हुए कई तरह के उपाय किए हैं। (PC ANI)

By Ankit KumarEdited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 09:58 AM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 02:17 PM (IST)
कोविड-19 पिछले 100 साल का सबसे बड़ा स्वास्थ्य एवं आर्थिक संकट हैः आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास
कोविड-19 पिछले 100 साल का सबसे बड़ा स्वास्थ्य एवं आर्थिक संकट हैः आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को कहा कि कोविड-19 पिछले 100 साल का सबसे बड़ा स्वास्थ्य एवं आर्थिक संकट है। उन्होंने '7th SBI Banking and Economic Conclave' को संबोधित करते हुए यह बात कही। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित दो दिवसीय कॉन्क्लेव को एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार एवं अन्य लोग संबोधित ने भी संबोधित किया है।

दास ने कहा, ''कोविड-19 पिछले 100 साल का सबसे बड़ा आर्थिक एवं स्वास्थ्य से जुड़ा संकट है। इस वजह से उत्पादन, नौकरियों एवं स्वास्थ्य पर अभूतपूर्व नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है। इस संकट ने पहले से मौजूद वैश्विक व्यवस्था, ग्लोबल वैल्यू चेन और दुनियाभर में लेबर एंड कैपिटल मुवमेंट को प्रभावित किया है।''

#COVID19 is the worst health & economic crisis in last 100 years with unprecedented negative consequences for output, jobs & well being. It dented the existing world order, global value chains, labour&capital movements across globe: RBI Guv at 7th SBI Banking & Economics Conclave pic.twitter.com/NFDzJ0gkFT

— ANI (@ANI) July 11, 2020

दास ने कहा कि कोविड-19 महामारी हमारी आर्थिक एवं वित्तीय व्यवस्था की मजबूती एवं लचीलता को परखने के लिहाज से अबतक का सबसे बड़ा टेस्ट है।

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RBI ने उठाए कई महत्वपूर्ण कदम

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि संकट के इस काल में देश की वित्तीय व्यवस्था को बचाने के लिए और अर्थव्यवस्था को सपोर्ट करने के लिए आरबीआई ने कई तरह के कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि आरबीआई की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि वित्तीय स्थिरता भी समान रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जोखिम को चिह्नित करने के लिए आरबीआई ने अपने निगरानी तंत्र को मजबूत बनाया है।

फरवरी, 2019 से अब तक रेपो रेट में 2.50% की कटौती

दास ने आरबीआई की ओर से उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि कोविड-19 संकट से पहले केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 1.35 फीसद की कटौती की थी। उन्होंने कहा कि उस समय में आर्थिक वृद्धि दर में आई सुस्ती से निपटने के लिए ये कदम उठाए गए थे। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कोविड-19 संकट से निपटने के लिए आरबीआई रेपो रेट में 1.15 फीसद की कटौती कर चुका है। इस तरह देखा जाए तो फरवरी, 2019 से अब तक आरबीआई रेपो रेट में 2.50 फीसद दर की कटौती कर चुका है। 

दिख रहे हैं रिकवरी के संकेत

अपने संबोधन के दौरान दास ने शनिवार को कहा कि लॉकडाउन से जुड़े प्रतिबंधों के धीरे-धीरे हटने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के सामान्य स्थिति की ओर लौटने के संकेत मिल रहे हैं। दास ने कहा कि इस समय विश्वास बहाली, वित्तीय स्थिरता को बचाने, आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को रिवाइव करने और अधिक मजबूती के साथ रिकवरी की जरूरत है। 

दास ने ऐसे समय में इस कॉन्क्लेव को संबोधित किया, जब देश में कोरोना वायरस के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। दूसरी तरफ कई आर्थिक मोर्चों पर रिकवरी के संकेत नजर आ रहा हैं। उल्लेखनीय है कि देश के केंद्रीय बैंक ने कोरोनावायरस की वजह से उपजे संकट को देखते हुए कई तरह के उपाय किए हैं। देश की आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक पिछले दो द्विमासिक बैठकों में रेपो रेट में कमी कर चुका है। इसके साथ ही सिस्टम में नकदी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी केंद्रीय बैंक ने कई तरह के कदम उठाए हैं। 

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