राकेश झुनझुनवाला, उनकी पत्नी रेखा समेत अन्य आठ ने भेदिया कारोबार मामले का किया निपटान, 37 करोड़ रुपये से अधिक का हुआ भुगतान

मामले में व्यक्तिगत रूप से राकेश झुनझुनवाला ने निपटान राशि के रूप में 9.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इसमें 3.10 करोड़ रुपये के ब्याज के साथ गलत तरीके से मिले लाभ के बदले 5.86 करोड़ रुपये का भुगतान शामिल है।

By NiteshEdited By: Publish:Thu, 15 Jul 2021 08:38 AM (IST) Updated:Thu, 15 Jul 2021 09:21 AM (IST)
राकेश झुनझुनवाला, उनकी पत्नी रेखा समेत अन्य आठ ने भेदिया कारोबार मामले का किया निपटान, 37 करोड़ रुपये से अधिक का हुआ भुगतान
इस राशि में निपटान शुल्क और ब्याज के साथ गलत तरीके से कमाई गयी राशि शामिल है

नई दिल्ली, पीटीआइ। जाने-माने निवेशक राकेश झुनझुनवाला, उनकी पत्नी रेखा झुनझुनवाला और आठ अन्य व्यक्तियों ने 37 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान कर एप्टेक लि. के शेयर से जुड़े भेदिया कारोबार मामले का निपटान कर लिया है। इस राशि में निपटान शुल्क और ब्याज के साथ गलत तरीके से कमाई गयी राशि शामिल है।

मामले में व्यक्तिगत रूप से राकेश झुनझुनवाला ने निपटान राशि के रूप में 9.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इसमें 3.10 करोड़ रुपये के ब्याज के साथ गलत तरीके से मिले लाभ के बदले 5.86 करोड़ रुपये का भुगतान शामिल है। इसके अलावा, रेखा झुनझुनवाला ने 1.57 करोड़ रुपये निपटान राशि के रूप में दिये।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जिन के दो अलग-अलग आदेश जारी किए हैं उसके अनुसार मामले का निपटान करने वाले अन्य आठ व्यक्ति राजेश कुमार झुनझुनवाला, सुशीला देवी गुप्ता, सुधा गुप्ता, उष्मा सेठ सुले, उत्पल शेठ, मधु वडेरा जयकुमार, चुग योगिंदर पाल और रमेश एस दमानी हैं।

ये आदेश इन व्यक्तियों के निपटान आवेदनों के बाद आये हैं। आवेदन में सेबी के निपटान आदेश के माध्यम से तथ्यों को स्वीकार या अस्वीकार किए बिना, मामले को समाप्त करने का प्रस्ताव दिया गया था।

आवेदन मिलने के बाद आवेदकों के अधिकृत प्रतिनिधियों ने 31 दिसंबर, 2020 को सेबी की आंतरिक समिति के साथ बैठक की और निपटान की शर्तों पर बातचीत हुई।

इसके बाद सेबी की उच्चाधिकार सलाहकार समिति ने मई, 2021 में हुई अपनी बैठक में आवेदकों की ओर से प्रस्तावित निपटान शर्तों पर विचार किया और निपटान शुल्क के भुगतान पर मामले के निपटान की सिफारिश की।

इसके बाद इन व्यक्तियों ने 37 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया, जिसमें निपटान राशि, गलत तरीके से अर्जित लाभ के साथ-साथ पूर्ण शुल्क शामिल था।

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