जल्द से जल्द एपीएमसी को खत्म कर ई-नाम को बढ़ावा दें राज्य: निर्मला सीतारमण

अभी देश के आठ राज्यों में ई-नाम योजना के तहत 21 मंडियों ने काम करना शुरू किया है। इन मंडियों के बीच 14 कृषि उत्पादों के अभी तक 136 अंतर-राज्यीय सौदे हो चुके हैं।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Wed, 13 Nov 2019 09:50 AM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 12:47 PM (IST)
जल्द से जल्द एपीएमसी को खत्म कर ई-नाम को बढ़ावा दें राज्य: निर्मला सीतारमण
जल्द से जल्द एपीएमसी को खत्म कर ई-नाम को बढ़ावा दें राज्य: निर्मला सीतारमण

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सभी राज्यों से आग्रह किया है कि वे जितनी जल्दी हो कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) को समाप्त करें और इसकी जगह पर इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) को बढ़ावा दें। यहां नाबार्ड की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि किसानों को अनाज का पर्याप्त मूल्य दिलाने के लिए जरूरी है कि हर राज्य जितनी जल्दी हो सके ई-नाम को लागू करे। यह पूरे देश में काम करने वाला एक ट्रेडिंग पोर्टल है, जिससे कृषि उत्पादों का एक राष्ट्रीय बाजार बनाने की राह निकल सकती है।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘एपीएमसी एक समय देश के लिए जरूरी था लेकिन अब इसकी अहमियत खत्म हो गई है। एपीएमसी अब किसानों को उनके उत्पादों का पर्याप्त मूल्य दिलाने में सफल नहीं हो पाता। बदलते वक्त के साथ ई-नाम अब ज्यादा आवश्यक हो गया है। केंद्र सरकार राज्यों को मदद कर रही है कि वे एपीएमसी को समाप्त करके उसकी जगह ई-नाम को लागू करें। मुझे उम्मीद है कि इसमें सफलता मिलेगी क्योंकि किसानों का हित सधेगा तो राज्यों को भी फायदा होगा।’

अभी देश के आठ राज्यों में ई-नाम योजना के तहत 21 मंडियों ने काम करना शुरू किया है। इन मंडियों के बीच 14 कृषि उत्पादों के अभी तक 136 अंतर-राज्यीय सौदे हो चुके हैं। सरकार इस योजना के तहत समूचे देश की मंडियों को एक ही इलेक्ट्रॉनिक मंच पर लाना चाहती है।

खाद्य तेलों का आयात बड़ी चिंता

वित्त मंत्री ने खाद्य तेलों के बढ़ते आयात पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सरकार तिलहन उत्पादों को कई तरीके से बढ़ाने की कोशिश कर रही है। सिर्फ न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का ही रास्ता नहीं अपनाया गया है बल्कि किसानों को दूसरे तरीकों से भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि किसान अन्नदाता के साथ ही ऊर्जा दाता भी बनें। अपने खेतों में सोलर ऊर्जा और पवन ऊर्जा से बिजली बनाने के नए साधनों का भी उपयोग करें।

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