अर्थव्यवस्था को लेकर आशावादी जनमानस, सर्वेक्षण में सामने आई बात
सर्वे मे 37 फीसद लोगों का मानना था कि न सिर्फ रिकवरी होगी बल्कि दो साल में भारतीय अर्थव्यवस्था प्री कोविड काल से आगे भी बढ़ जाएगी। (PC Pixabay)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोविड के प्रभाव से पस्त अर्थव्यवस्था में यूं तो ग्रीन शूट्स दिखने लगे हैं लेकिन अर्थशास्त्रियों में अब भी कई आशंकाएं है। बहरहाल, आमजनता की बात की जाए तो आधे से ज्यादा मानते हैं कि अगले दो साल में जब भारत स्वतंत्रता के 75 साल पूरे करेगा तो भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह उबर जाएगी। बहरहाल, इन दो वर्षो में भ्रष्टाचार से उबरने को लेकर जनमानस में बहुत आशा नहीं है। महज 26 फीसद मानते हैं कि अगले दो वर्षो में भ्रष्टाचार की स्थिति कम होगी। लोकल सर्कल्स ने देश के ढाई सौ से ज्यादा जिलों में देश के 62 हजार लोगों के बीच सर्वे में यह निष्कर्ष निकाला है।
कोविड ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को तहत नहस कर दिया है और हर देश में यह अटकल लगाई जा रही है कि रिकवरी का शेप क्या होगा। भारत में कुछ स्तर पर वी शेप यानी तेजी से सुधार की भी संभावनाएं जताई जा रही थीं। यह कहना तो मुश्किल है लेकिन लोगों का उत्साह कम नहीं है।
सर्वे मे 37 फीसद लोगों का मानना था कि न सिर्फ रिकवरी होगी बल्कि दो साल में भारतीय अर्थव्यवस्था प्री कोविड काल से आगे भी बढ़ जाएगी। जबकि 26 फीसद ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि रिकवरी संभव नहीं है।
गलवन घाटी में चीन के साथ हुई मुठभेड़ के बाद कई चीजें बदली हैं। ऐसे में जब लोगों से सवाल पूछा गया कि क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पैठ मजबूत हुई और होगी, तो 69 फीसद लोगों का सकारात्मक जवाब था।
ध्यान रहे कि 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के वक्त से ही सरकार विदेश नीति को लेकर बहुत सक्रिय रही है। वर्तमान काल मे भी जब कई मुद्दों पर चीन और पाकिस्तान की कोशिशों पर पानी फेरते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत के साथ खड़ा रहा है।
बहरहाल भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जनता में विश्वास भरने के लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। सर्वे में 44 फीसद लोगों का कहना था कि स्थिति जस की तस बनी रहेगी। 28 फीसद ने कहा कि स्थिति और खराब होगी जबकि 26 फीसद सुधार को लेकर आशान्वित हैं। ध्यान रहे कि अगले दो वर्षों को लेकर सर्वे था जिसे सरकार युवा भारत बताती रही है।