Form 26AS में होंगी अब ये अतिरिक्त जानकारियां, जानें CBDT ने क्या किये बदलाव
फॉर्म 26AS एक वार्षिक समेकित कर विवरण है जिसे करदाता पैन द्वारा इनकम टैक्स वेबसाइट से प्राप्त कर सकते हैं। CBDT ने 26 अक्टूबर को IT अधिनियम धारा 285BB के तहत नए फॉर्म 26AS में रिपोर्ट की गई जानकारी के दायरे का विस्तार करते हुए एक आदेश जारी किया था।
नई दिल्ली, पीटीआइ। Income Tax Department की तरफ से अधिक मूल्य वाले वित्तीय लेनदेन की सूची का विस्तार किया है। यह सूची विस्तार करदाताओं को उनके फॉर्म 26AS में उपलब्ध होगी। जिसमें म्यूचुअल फंड (एमएफ) खरीद, विदेश से प्राप्त धन, साथ ही अन्य करदाताओं के आईटीआर में दी गई जानकारी शामिल है।
फॉर्म 26AS एक वार्षिक समेकित कर विवरण है, जिसे करदाता अपने पैन का इस्तेमाल करके इनकम टैक्स की वेबसाइट से प्राप्त कर सकते हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 26 अक्टूबर को IT अधिनियम की धारा 285BB के तहत नए फॉर्म 26AS में रिपोर्ट की गई जानकारी के दायरे का विस्तार करते हुए एक आदेश जारी किया था।
निर्धारित अतिरिक्त जानकारी में किसी भी व्यक्ति द्वारा अधिकृत डीलर के जरिए विदेश से मंगाया गया पैसा, कर्मचारी द्वारा दावा की गई कटौती के साथ वेतन का ब्रेकअप, अन्य करदाताओं के आईटीआर में जानकारी, आयकर रिफंड पर ब्याज, वित्तीय लेनदेन का विवरण जैसी जानकारी शामिल है।
इसके अलावा, डिपॉजिटरी या रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट द्वारा रिपोर्ट किए गए ऑफ मार्केट लेनदेन, आरटीए द्वारा रिपोर्ट किए गए म्यूचुअल फंड के लाभांश के बारे में जानकारी और आरटीए द्वारा रिपोर्ट किए गए म्यूचुअल फंड की खरीद के बारे में जानकारी भी फॉर्म 26AS में शामिल की जाएगी।
CBDT ने तीन महीने के भीतर पंजीकृत इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग खाते में फॉर्म 26AS में वार्षिक सूचना विवरण में, जानकारी अपलोड करने के लिए आय-कर (सिस्टम) के महानिदेशक को अधिकृत किया है। साल 2020-21 के बजट में आईटी अधिनियम में एक नई धारा 285 BB को जोड़ा गया था। इसके अनुसार फॉर्म 26AS को एक 'वार्षिक सूचना विवरण' में बदलने के लिए, इसमें टीडीएस और टीसीएस विवरण के अलावा, वित्तीय लेनदेन, करों के भुगतान, मांग की व्यापक जानकारी शामिल की जाएगी।
पिछले साल मई में, आयकर विभाग के द्वारा संशोधित फॉर्म 26AS को अधिसूचित किया गया था। इसमें एक वित्तीय वर्ष के दौरान किए गए अधिक-मूल्य वाले वित्तीय लेनदेन की जानकारी शामिल थी। यह एक ऐसा कदम था, जिसने स्वैच्छिक अनुपालन और आई-टी रिटर्न की ई-फाइलिंग को काफी आसान कर दिया था।