रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है नवंबर का GST संग्रह, एसबीआई इकोरैप का है अनुमान

GST Collection त्योहारी तेजी की बदौलत नवंबर माह का जीएसटी संग्रह पिछले 10 महीनों के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच सकता है। औद्योगिक उत्पादन में भी तेजी का अनुमान लगाया गया है। एसबीआइ इकोरैप के अनुमान के मुताबिक नवंबर माह का जीएसटी संग्रह 1.08 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 10:29 AM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 02:33 PM (IST)
रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है नवंबर का GST संग्रह, एसबीआई इकोरैप का है अनुमान
वस्तु एवं सेवा कर (G S T)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। त्योहारी तेजी की बदौलत नवंबर माह का जीएसटी संग्रह (GST Collection) पिछले 10 महीनों के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच सकता है। वहीं औद्योगिक उत्पादन में भी तेजी का अनुमान लगाया गया है। एसबीआइ इकोरैप के अनुमान के मुताबिक नवंबर माह का जीएसटी संग्रह 1.08 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है जो इस साल जनवरी के बाद सबसे अधिक होगा।

त्योहारी तेजी के कारण इस साल अक्टूबर में 1.05 लाख करोड़ का जीएसटी संग्रह रहा। इस साल जनवरी में 1.10 लाख करोड़ का जीएसटी संग्रह किया गया था। इस साल फरवरी के बाद पहली बार अक्टूबर माह में जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ के पार पहुंचा था। एसबीआइ इकोरैप ने नवंबर माह में औद्योगिक उत्पाद सूचकांक और मैन्यूफैक्चरिंग में तेजी का अनुमान लगाया है।

इकोरैप के अनुमान के मुताबिक अक्टूबर माह के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में पिछले साल अक्टूबर के मुकाबले 2-3 फीसद की बढ़ोतरी हो सकती है। नवंबर माह के औद्योगिक उत्पादन में बढ़ोतरी का यह स्तर 3.5-4.5 फीसद तक पहुंच सकता है। इस साल सितंबर माह के औद्योगिक उत्पादन में पिछले साल सितंबर के मुकाबले 0.2 फीसद का इजाफा रहा। इस साल अप्रैल से अगस्त तक औद्योगिक उत्पादन में लगातार गिरावट दर्ज की गई।

दूसरी तिमाही में विकास दर -10.7 रहने का अनुमान

एसबीआइ इकोरैप के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में विकास दर में 10.7 फीसद की गिरावट रहने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था में लगातार हो रहे सुधार को देखते हुए गिरावट के अनुमान में कमी की गई है। शुक्रवार को दूसरी तिमाही की विकास दर का आंकड़ा जारी किया जाएगा। इकोरैप ने पूर्व में दूसरी तिमाही के लिए 12.5 फीसद की गिरावट का अनुमान लगाया था। इकोरैप के अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आर्थिक स्थिति बेहतर होने से विकास दर की गिरावट में और कमी आ सकती है।

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