RBI से इस साल सरकार को मिलेंगे 57 हजार करोड़, आरबीआइ बोर्ड का फैसला

RBI ने अगस्त 2019 में केंद्र सरकार को कुल 1.76 लाख करोड़ रुपये की राशि देने का ऐलान किया था। इसमें 1.23 लाख करोड़ रुपये की राशि बतौर लाभांश के तौर पर दी गई थी। (PC Reuters)

By Ankit KumarEdited By: Publish:Fri, 14 Aug 2020 07:44 PM (IST) Updated:Sat, 15 Aug 2020 07:54 AM (IST)
RBI से इस साल सरकार को मिलेंगे 57 हजार करोड़, आरबीआइ बोर्ड का फैसला
RBI से इस साल सरकार को मिलेंगे 57 हजार करोड़, आरबीआइ बोर्ड का फैसला

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारतीय रिजर्व बैंक बोर्ड ने शुक्रवार को हुई एक अहम बैठक में केंद्रीय बैंक के रिजर्व फंड से 57 हजार करोड़ केंद्र सरकार को देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। यह राशि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए दी जा रही है। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब आरबीआइ के फंड से कोई राशि केंद्र सरकार को हस्तांतरित की जा रही है। इसके पिछले वर्ष के लिए केंद्र सरकार को आरबीआइ के रिजर्व फंड से 52,637 करोड़ रुपये दिए गए थे। केंद्रीय बैंक के रिजर्व फंड से केंद्र को हिस्सेदारी दी जाए या नहीं और दी जाए तो कितनी दी जाए इसको लेकर लंबे समय से बहस होती रही है। इस वजह से सरकार और आरबीआइ के पूर्व गवर्नरों के बीच रिश्ते भी असहज हुए थे।

बहरहाल, कोविड-19 की वजह से राजस्व संग्रह के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना कर रही केंद्र सरकार को इससे राहत मिलेगी। आरबीआइ की तरफ से जारी सूचना में बताया गया है कि, 'केंद्रीय बोर्ड की बैठक में वर्ष 2019-20 के लिए सरप्लस के तौर पर 57,128 करोड़ रुपये की राशि केंद्र सरकार को ट्रांसफर करने का फैसला किया गया। साथ ही कंटिनजेंसी रिस्क बफर 5.5 फीसद पर बनाये रखने का फैसला किया गया।'

बोर्ड की बैठक गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई और इसमें वित्त मंत्रालय के दो वरिष्ठ सचिवों ने भी हिस्सा लिया। आरबीआइ ने अगस्त, 2019 में केंद्र सरकार को कुल 1.76 लाख करोड़ रुपये की राशि देने का ऐलान किया था। इसमें 1.23 लाख करोड़ रुपये की राशि बतौर लाभांश के तौर पर दी गई थी जबकि शेष राशि सरपल्स फंड में से दी गई थी। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में भी केंद्रीय बैंक लाभांश की राशि की घोषणा करेगा। वैसे चालू वित्त वर्ष के बजट में से आरबीआइ से लाभांश के तौर पर 60 हजार करोड़ रुपये आने का प्रावधान किया है।

आरबीआइ ने पिछले वर्ष ही यह फैसला किया था कि वह आपातकालीन जोखिम के लिए अपनी कुल परिसंपत्तियों का 5.5 फीसद फंड कंटीजेंसी रिस्क बफर (सीआरबी) रखेगा। यह फैसला पूर्व गवर्नर डॉ. बिमल जालान समिति की सिफारिशों के आधार पर किया गया था। पिछले वर्ष आरबीआइ ने बताया था कि उसके पास सीआरबी के तौर पर 6.8 फीसद राशि है। तब यह भी बताया गया था कि सीआरबी की सीमा से अतिरिक्त 11,608 करोड़ रुपये की राशि फंड में है।

बताते चले कि आरबीआइ के रिजर्व फंड से राशि केंद्र सरकार को राशि दी जाए या नहीं इसको लेकर पूर्व की केंद्र सरकारों ने भी काफी विमर्श किया था। असलियत में पिछले दो दशकों में इस विषय पर दो बार समिति का गठन किया गया था और उनकी सिफारिशें भी सकारात्मक आई थी लेकिन अंतत: केंद्र के स्तर पर राशि नहीं लेने का फैसला किया गया था। इस विषय पर हाल के दो पूर्व गवर्नर डॉ. रघुराम राजन और डॉ. उर्जित पटेल के विचार भी फंड ट्रांसफर करने के विरोध में रहे थे।

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