MSME कंपनियों के लिए खुशखबरी, 45 दिन में बकाये का भुगतान कर देगा केंद्र, वित्त मंत्री ने बताया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि केंद्र एमएसएमई का सभी बकाया भुगतान 45 दिनों में कर देगा। उनके अनुसार एमएसएमई के बकाया भुगतान के मामले में केंद्र सरकार का यही रुख है और वह व्यक्तिगत रूप से इस मामले की निगरानी कर रही हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि केंद्र एमएसएमई का सभी बकाया भुगतान 45 दिनों में कर देगा। उनके अनुसार एमएसएमई के बकाया भुगतान के मामले में केंद्र सरकार का यही रुख है और वह व्यक्तिगत रूप से इस मामले की निगरानी कर रही हैं। वित्त मंत्री के इस आश्वासन से एमएसएमई को बड़ी राहत मिलेगी। कोरोना की पहली लहर के बाद से ही एमएसएमई नकदी की संकट के जूझ रहे हैं। बकाए के भुगतान से एमएसएमई की नकदी की समस्या दूर होगी। वहीं, एमएसएमई के पास नकदी आने से अर्थव्यवस्था की रिकवरी भी तेज होगी। देश की जीडीपी में एमएसएमई का योगदान 29 फीसद है।
सोमवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान वित्त मंत्री ने केंद्रीय सार्वजनिक कंपनियों (पीएसयू) और केंद्रीय विभाग पर एमएसएमई के बकाया को लेकर स्थिति स्पष्ट करने के दौरान यह आश्वासन दिया। बाद में वित्त मंत्री ने अपने ट्वीट के जरिये भी बताया कि केंद्र 45 दिनों में एमएसएमई का पूरा बकाया भुगतान कर देगा। उन्होंने संसद में कहा कि एमएसएमई का बकाया काफी गंभीर मामला है और इस मुद्दे पर पूर्व एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी के साथ चर्चा की गई थी। गडकरी ने एमएसएमई के बकाए पर चिंता जताते हुए वित्त मंत्री से इस मसले पर बात की थी।
सीतारमण ने कहा कि पिछले साल से केंद्र सरकार अपने सभी विभागों के बकाए की समीक्षा कर रही है जिन्हें एमएसएमई को भुगतान करना है। इनमें केंद्रीय सार्वजनिक कंपनियां भी शामिल हैं। इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि बकाया भुगतान के नियम के मुताबिक 45 दिनों की समय-सीमा का उल्लंघन नहीं हो। एमएसएमई मंत्रालय पिछले डेढ़ वर्षो में बकाया भुगतान में तेजी के लिए कई बार वित्त मंत्रालय को पत्र लिख चुका है।
वित्त मंत्रालय की तरफ से सभी केंद्रीय विभागों को एमएसएमई के भुगतान को लेकर चुस्त रहने के लिए कहा जा चुका है। राज्यों को जीएसटी भुगतान के संबंध में वित्त मंत्री ने बताया कि इस संबंध में अंतिम फैसला जीएसटी काउंसिल करेगी। उन्होंने कहा कि जब हम सरकारी बकाया की बात करते हैं तो उनमें केंद्र के साथ केंद्रीय सार्वजनिक कंपनियां, राज्य सरकार और उनकी कंपनियां भी शामिल होती हैं।