Manufacturing PMI के मोर्चे पर झटका, जुलाई में विनिर्माण गतिविधियों में जून के मुकाबले अधिक संकुचन
पीएमआई पर 50 से अधिक का आंकड़ा वृद्धि जबकि उससे नीचे का आंकड़ा संकुचन को दिखाता है। (PC Pixabay)
बेंगलुरु, रॉयटर्स। कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के चलते भारत के अलग-अलग हिस्सों में फिर से लागू लॉकडाउन के चलते जुलाई में देश की विनिर्माण गतिविधियों में एक बार फिर संकुचन देखने को मिला। एक निजी सर्वे में यह कहा गया है। आईएचएस मार्किट द्वारा संकलित निक्की मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (Manufacturing PMI) जुलाई में 46 पर रहा, जो जून में 47.2 पर था। पीएमआई पर 50 से अधिक का आंकड़ा वृद्धि जबकि उससे नीचे का आंकड़ा संकुचन को दिखाता है। मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई लगातार चौथे महीने 50 से नीचे रहा है। इस तरह भारत में मार्च, 2009 के बाद विनिर्माण गतिवधियों में यह संकुचन का सबसे लंबा दौर है।
IHS Markit के एक अर्थशास्त्री इलियट केर्र ने कहा, ''सर्वे के परिणाम उत्पादन और नए ऑर्डर्स से जुड़े प्रमुख सूचकांकों में गिरावट में तेजी को दिखाते हैं। इससे पिछले दो माह में पैदा हुए स्थिरता के ट्रेंड को झटका लगा है।''
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उन्होंने कहा कि कुछ साक्ष्य इस ओर इशारा कर रहे हैं कि कंपनियों को काम प्राप्त करने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है क्योंकि उनके क्लाइंट अब भी लॉकडाउन में हैं। इससे इस बात का पता चलता है कि संक्रमण की दर में कमी आए बगैर और पाबंदियों को हटाए बिना गतिविधियों में तेजी नहीं आएगी।
कारखानों द्वारा एक बार कीमत घटाए जाने के बावजूद नए ऑर्डर्स और प्रोडक्शन में कमी कुल डिमांड में गिरावट का संकेत दे रहे हैं। इस वजह से बड़ी कंपनियां लगातार चौथे महीने अपने कार्यबल में कमी करेंगी।
इनपुट और आउटपुट से जुड़ी कीमतों में लगातार गिरावट से मुद्रास्फीति में कमी की गुंजाइश बढ़ गई है। जून में खुदरा मंहगाई दर रिजर्व बैंक के लक्ष्य से ज्यादा रही थी। केंद्रीय बैंक ने देश की खुदरा महंगाई दर को 2-6 फीसद के बीच रखने का मध्यम अवधि का लक्ष्य तय किया है।