Manufacturing PMI: फरवरी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में नरमी, जानें रोजगार के मोर्चे पर क्या रहा हाल

Manufacturing PMI भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में फरवरी में जनवरी के मुकाबले थोड़ी नरमी देखने को मिली। हालांकि इसके बावजूद पिछले महीने विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों (Factory Activity) में वृद्धि देखने को मिली। आईएचएस मार्किट का इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) फरवरी में 57.5 पर रहा।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 12:31 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 06:58 PM (IST)
Manufacturing PMI: फरवरी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में नरमी, जानें रोजगार के मोर्चे पर क्या रहा हाल
पीएमआई पर 50 से ऊपर का आंकड़ा वृद्धि जबकि नीचे का आंकड़ा संकुचन को दिखाता है। (PC: AP)

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में फरवरी में जनवरी के मुकाबले थोड़ी नरमी देखने को मिली। हालांकि, इसके बावजूद पिछले महीने विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में वृद्धि देखने को मिली। दूसरी ओर राहत की बात ये है कि कंपनियां आने वाले समय में प्रोडक्शन और खरीद से जुड़ी गतिविधियों में बढ़ोत्तरी को लेकर काफी आशान्वित हैं क्योंकि कंपनियों को नए ऑर्डर मिले हैं। एक मासिक सर्वे में सोमवार को यह कहा गया है। आईएचएस मार्किट का इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) फरवरी में 57.5 पर रहा, जो जनवरी में 57.7 पर रहा था। यह आंकड़ा इस बात को दिखाता है कि वृद्धि की रफ्तार जनवरी के मुकाबले फरवरी में थोड़ी धीमी रही लेकिन ऐतिहासिक आंकड़ों को देखा जाए तो फरवरी में भी विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में काफी तेज वृद्धि दर्ज की गई। 

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पीएमआई पर 50 से ऊपर का आंकड़ा वृद्धि जबकि नीचे का आंकड़ा संकुचन को दिखाता है। 

IHS Markit में एसोसिएट डायरेक्टर (इकोनॉमिक्स) पॉलियाना डि लीमा ने कहा, ''सामान बनाने वाली भारतीय कंपनियों ने फरवरी में बड़े पैमाने पर नए ऑर्डर मिलने की सूचना दी है। इससे आने वाले समय में प्रोडक्शन और खरीद की मात्रा में और वृद्धि की संभावना तेज हो गई है।''

लिमा ने कहा कि अगर कंपनियों के पास उपयुक्त संसाधन होते तो प्रोडक्शन में और मजबूत वृद्धि देखने को मिलती। 

हालांकि, कार्यस्थल पर कोविड-19 से जुड़ी पाबंदियों के चलते नौकरियों के मौके में फरवरी में कमी देखने को मिली।

हालांकि, अधिकतर लोगों को इस बात की उम्मीद है कि वैक्सीनेशन प्रोग्राम के विस्तार के बाद इस तरह की पाबंदियों को हटा लिया जाएगा। कंपनियों ने उम्मीद जाहिर है कि आर्थिक परिस्थितियों में धीरे-धीरे सुधार होगा और उससे प्रोडक्शन में वृद्धि होगी। 

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