LIC लिस्टिंग, IDBI Bank में सरकारी हिस्सेदारी बेचने में हो सकती है देरी, जानें कोरोना सहित अन्य वजह

LIC में सरकार की 100 फीसद हिस्सेदारी है। दूसरी ओर IDBI Bank में सरकार की हिस्सेदारी 46.5 फीसद है।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Sun, 31 May 2020 04:12 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 07:48 AM (IST)
LIC लिस्टिंग, IDBI Bank में सरकारी हिस्सेदारी बेचने में हो सकती है देरी, जानें कोरोना सहित अन्य वजह
LIC लिस्टिंग, IDBI Bank में सरकारी हिस्सेदारी बेचने में हो सकती है देरी, जानें कोरोना सहित अन्य वजह

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की लिस्टिंग और IDBI Bank में सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री की प्रक्रिया विलंबित हो सकती है। यह प्रक्रिया अब मार्च, 2021 से आगे जा सकती है। कोविड-19 महामारी की वजह से वैल्यूएशन में कमी के चलते सरकार यह कदम उठा सकती है। सरकार ने LIC की लिस्टिंग और IDBI Bank में हिस्सेदारी बेचकर 90,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिए 2.10 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए चालू वित्त वर्ष में आइपीओ के जरिए LIC में हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की थी। 

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हालात नहीं हैं अनुकूल

सूत्रों ने बताया है कि बाजार की मौजूदा हालात को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में LIC में हिस्सेदारी की बिक्री मुश्किल नजर आ रही है क्योंकि हालात अनुकूल नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाजार की वर्तमान परिस्थितियों में एलआईसी के मेगा इश्यू को लेकर निवेशकों द्वारा बहुत अधिक दिलचस्पी दिखाए जाने की उम्मीद कम है।  

कोविड-19 से जुड़ी परिस्थितियों के कारण हाल में सरकार ने देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी BPCL के निजीकरण के लिए निविदा भरने की समयसीमा को दूसरी बार बढ़ाकर 31 जुलाई, 2020 कर दिया है।

वर्तमान में LIC में सरकार की 100 फीसद हिस्सेदारी है। दूसरी ओर, IDBI Bank में सरकार की हिस्सेदारी 46.5 फीसद है। 

ये भी हैं वजहें

सूत्रों ने कहा कि बाजार की स्थिति बेहतर होने पर भी सरकार को LIC और IDBI Bank में हिस्सेदारी की बिक्री के जरिए होने वाली अनुमानित आय में कमी करनी होगी। ऐसे में कम वैल्यूएशन के साथ हिस्सेदारी की बिक्री उचित फैसला नहीं होगा। 

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उन्होंने कहा कि वैल्यूएशन के साथ-साथ LIC की लिस्टिंग के लिए कई तरह की नियामकीय मंजूरी की भी जरूरत है और LIC अधिनियम में संशोधन इस लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण है।

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