लेदर एक्सपोर्ट बॉडी ने की मांग, चप्पल और जूतों पर जीएसटी की दर घटाकर 12 फीसद की जाए
सीएलई के चेयरमैन पी आर अकील अहमद ने कहा कि जूते-चप्पल कोई विलासिता की वस्तु नहीं है और हम सरकार से इस पर जीएसटी की दर को घटाकर 12 फीसद किए जाने की मांग करते हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। चमड़ा निर्यात परिषद (सीएलई) ने 1,000 रुपये से ऊपर के चमड़े के जूते-चप्पलों पर जीएसटी दर को घटाकर 12 फीसद किए जाने की मांग की है, ताकि निर्यात और विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा सके।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि वर्तमान समय में 1000 रुपये तक के जूते-चप्पलों पर जीएसटी को घटाकर 5 फीसद किया गया था जबकि इससे ऊपर के उत्पादों पर 18 फीसद जीएसटी लग रही है। सीएलई के चेयरमैन पी आर अकील अहमद ने बताया, "जूते-चप्पल कोई विलासिता की वस्तु नहीं है और हम सरकार से इस पर जीएसटी की दर को घटाकर 12 फीसद किए जाने की मांग करते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "इस क्षेत्र में विनिर्माण और निर्यात दोनों के लिये बड़ी मात्रा में संभावनाएं हैं। हमें इस पर सरकार से सहयोग की जरूरत है।" जीएसटी रिफंड के बारे में बात करते हुए अहमद ने कहा कि सीएलई देश में सभी चमड़ा कल्सटरों में जागरूकता और पहुंच बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी रिफंड की प्रक्रिया समय पर होनी चाहिए। यह बड़े एवं छोटे निर्यातकों को विदेशी खरीदारों से नए ऑर्डर दिलाने में मदद करेगा। वर्तमान में देश से चमड़े और उससे बने उत्पादों का निर्यात 6 अरब डॉलर का है। भारत यूरोप और अमेरिका समेत अन्य देशों में भी निर्यात करता है। गौरतलब है कि बीते वर्ष वाणिज्य मंत्रालय ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चमड़ा क्षेत्र को 2600 करोड़ रुपये का पैकेज देने की घोषणा की थी।