कुमार मंगलम बिड़ला ने वोडाफोन आइडिया के गैर कार्यकारी अध्यक्ष पद छोड़ा, ये होंगे नए डायरेक्टर

उनका कहना है कि भारत जैसे विशाल देश में कम से कम तीन बड़ी दूरसंचार कंपनियां होनी चाहिए। एयरटेल और जियो के पास इतनी व्यापक ढांचागत व्यवस्था नहीं है कि वे वोडाफोन आइडिया के सभी ग्राहकों को समाहित कर सकें

By NiteshEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 09:55 AM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 11:53 AM (IST)
कुमार मंगलम बिड़ला ने वोडाफोन आइडिया के गैर कार्यकारी अध्यक्ष पद छोड़ा, ये होंगे नए डायरेक्टर
दो साल के लिए सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के अध्यक्ष भी रहे हैं

नई दिल्ली, पीटीआइ। कुमार मंगलम बिड़ला ने वोडाफोन आइडिया के गैर कार्यकारी निदेशक और गैर कार्यकारी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। अब हिमांशु कपानिया को गैर-कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) की ओर से ये जानकारी दी गई है। कंपनी ने शेयर बाजारों को दी जानकारी में कहा कि वोडाफोन आइडिया के निदेशक मंडल ने अपनी बैठक में कुमार मंगलम बिड़ला के पद छोड़ने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। बिड़ला ने गैर कार्यकारी निदेशक और गैर कार्यकारी अध्यक्ष पद छोड़ने का अनुरोध किया था। ये बदलाव ऐसे समय में हो रहे हैं जब VIL के सामने पैसे का संकट है और कंपनी अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है।

इसके बाद निदेशक मंडल ने 'सर्वसम्मति से' हिमांशु कपानिया को कंपनी के गैर कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर चुन लिया, वे अभी एक गैर-कार्यकारी निदेशक हैं।

कंपनी ने कहा कि नामांकन और पारिश्रमिक समिति की सिफारिश के आधार पर, आदित्य बिड़ला समूह के नामित सुशील अग्रवाल को अतिरिक्त निदेशक (गैर कार्यकारी और गैर स्वतंत्र) के रूप में नियुक्त किया है।

कौन हैं हिमांशु कपानिया

कपानिया के पास वैश्विक दूरसंचार कंपनियों में टॉप लेवल पर काम करने का अनुभव है। उन्होंने इस क्षेत्र में 25 साल काम किया है। वे दो साल के लिए ग्लोबल GSMA बोर्ड में भी काम किया है और दो साल के लिए सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के अध्यक्ष भी रहे हैं।

गौरतलब है कि अगर वोडाफोन आइडिया बंद हो जाती है तो उसके 27 करोड़ से अधिक ग्राहकों को बड़ी परेशानी होगी। बुधवार को दूरसंचार विभाग (डीओटी) के भीतर टेलीकाम सेक्टर के लिए बड़े राहत पैकेज को लेकर बातचीत चलती रही। डीओटी के अधिकारी यह कहते हैं कि वोडाफोन को बचाना बहुत जरूरी है। उनका कहना है कि भारत जैसे विशाल देश में कम से कम तीन बड़ी दूरसंचार कंपनियां होनी चाहिए। एयरटेल और जियो के पास इतनी व्यापक ढांचागत व्यवस्था नहीं है कि वे वोडाफोन आइडिया के सभी ग्राहकों को समाहित कर सकें।

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