मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड देने की धीमी रफ्तार से मंत्री नाखुश, दो करोड़ किसानों में से केवल आठ हजार को मिल पाया कार्ड

राज्यमंत्री प्रताप सारंगी ने इस मौके पर वैज्ञानिकों की विकसित की गई टेक्नोलॉजी को किसानों तक पहुंचाने पर जोर दिया।

By NiteshEdited By: Publish:Thu, 21 Nov 2019 09:08 PM (IST) Updated:Thu, 21 Nov 2019 09:08 PM (IST)
मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड देने की धीमी रफ्तार से मंत्री नाखुश, दो करोड़ किसानों में से केवल आठ हजार को मिल पाया कार्ड
मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड देने की धीमी रफ्तार से मंत्री नाखुश, दो करोड़ किसानों में से केवल आठ हजार को मिल पाया कार्ड

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मछुआरों को किसान मानकर रियायती दरों पर उन्हें ऋण मुहैया कराने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड देने की योजना की रफ्तार बहुत धीमी है। दो करोड़ मछली किसानों में से केवल आठ हजार को किसान क्रेडिट कार्ड दिया जा सका है, जिस पर केंद्रीय मत्स्य, पशुधन व डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने नाखुशी जताई। सिंह बृहस्पतिवार को यहां विश्व मात्सि्यकी दिवस पर आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे। केंद्रीय मंत्री सिंह ने देशभर से आये मछुआरों की समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि समुद्र तटीय क्षेत्रों का जिस अंधाधुंध तरीके से दोहन हुआ है, उसका खामियाजा आज की पीढ़ी उठा रही है। इसके लिए पुख्ता रेगुलेशन बनाया जाएगा।

प्रतिबंधित समय में भी मछली पकड़ने का प्रभाव दिखने लगा है कि तट से समुद्र के भीतर 12 समुद्री मील तक मछली ही नहीं बची। मैरिन कल्चर के लिए कानून बनाया जा रहा है। दूसरे देशों के मछुआरे हमारी सीमा से मछली पकड़ लेते थे, जिस पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।मछली किसानों के मेकेनाइजेशन पर जोर दिया जा रहा है। देश के 11 लाख हेक्टेयर बैक वाटर में मछली पालन की बहुत संभावनाएं हैं। देश के भीतर जिन राज्यों में खारा पानी है, अब वहां झींगा की खेती होगी। 19509 किलोमीटर लंबाई की नदियों में मछली पालन की योजना है। देश में 25 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबा में पोखर, तालाब और जलाशय हैं। इनमें उत्पादन केवल तीन टन प्रति हेक्टेयर है, जिसे बढ़ाने की संभावनाएं है।

मछली पालन को लेकर केंद्रीय मत्स्य, पशुधन व डेयरी राज्यमंत्री डॉक्टर संजीव बालियान ने तो नेशनल फिसरीज डवलपमेंट बोर्ड की कार्य प्रणाली पर ही सवाल खड़ा करते हुए कहा कि यह तो केवल दक्षिणी क्षेत्र में ही काम करता है। इसे अब उत्तरी राज्यों में काम करने की जरूरत है। उत्तरी राज्यों में तालाब और पोखर बहुत है, जो बहुत खस्ताहाल हैं। इनमें सुधार की जरूरत है। इन्हें ठीक भर कर लिया जाए तो किसानों की आमदनी बढ़ाने में बहुत मदद मिलेगी। मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि मत्स्य उत्पादन के साथ पोस्ट हार्वेस्टिंग की योजनाओं को आगे बढ़ाया जाएगा।

मछली उत्पादन के साथ उसके निर्यात को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। सालाना 47 हजार करोड़ रुपये के मत्स्य निर्यात को बढ़ाकर एक लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत कार्य शुरु कर दिया गया है। राज्यमंत्री प्रताप सारंगी ने इस मौके पर वैज्ञानिकों की विकसित की गई टेक्नोलॉजी को किसानों तक पहुंचाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सिद्धांतों से बात नहीं बनती है। प्रयोगशालाओं में किये जाने वाले आविष्कार और दावे किये जाते हैं, लेकिन उसे किसान तक पहुंचाने की जरूरत है। मत्स्य सेक्टर ही किसानों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सकता है।

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