भारत में चुनिंदा और बड़े आकार के बैंकों की जरुरत: जेटली

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा है कि देश को सीमित संख्या में मजबूत बैंकों की जरुरत है

By Praveen DwivediEdited By: Publish:Mon, 18 Feb 2019 04:20 PM (IST) Updated:Tue, 19 Feb 2019 08:44 AM (IST)
भारत में चुनिंदा और बड़े आकार के बैंकों की जरुरत: जेटली
भारत में चुनिंदा और बड़े आकार के बैंकों की जरुरत: जेटली

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारत को चुनिंदा और बड़े बैंकों की जरुरत है। वर्ष 2017 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के भीतर इसके पांच सहयोगी बैंकों और एक भारतीय महिला बैंक के विलय के बाद सरकार ने इसी साल देना-विजया और बैंक ऑफ बड़ौदा के विलय को मंजूरी दी है।

आम बजट के बाद आरबीआई निदेशक मंडल के साथ होने वाली परंपरागत बैठक को संबोधित करते हुये जेटली ने कहा, "पूर्व में हमारे पास एसबीआई के विलय का अनुभव है और अब हम दूसरा मर्जर करने जा रहे हैं। भारत को चुनिंदा और बड़े बैंकों की जरूरत है जो कि मजबूत हों क्योंकि हर दृष्टि से उधार दरों से लेकर अधिकतम उपयोग तक, बैंकिंग क्षेत्र के रूप में जहां तक पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं की बात है, यह बहुत मददगार हैं।"

केंद्रीय कैबिनेट ने आखिरी महीने में तीन बड़े बैंकों के मर्जर को मंजूरी दे दी थी जो कि मिलकर देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बनाएगे। इससे पहले एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक का नंबर आएगा। इन तीनों बैंका का विलय एक अप्रैल 2019 से प्रभाव में आएगा। इस विलय के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 18 रह जाएगी। सितंबर 2018 में अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली वैकल्पिक व्यवस्था ने वैश्विक आकार के ऋणदाता बनाने के लिए तीन बैंकों के विलय के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी।

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