कोरोना कवच और कोरोना रक्षक से हो रहा घाटा, बीमा कंपनियों ने की कोरोना उत्पादों के प्रीमियम बढ़ाने की मांग
कंपनियों ने पिछले वर्ष जुलाई में इन नीतियों को बाजार में उतारा था। अधिकारी ने कहा कि इस वर्ष जून तक के आंकड़ों के अनुसार अन्य देशों की तुलना में भारत में महामारी का प्रकोप बहुत अधिक था।
नई दिल्ली, पीटीआइ। बीमा कंपनियों के लिए कोरोना कवच और कोरोना रक्षक जैसे उत्पाद घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं। ऐसे में कंपनियों ने बीमा नियामक इरडा से ऐसे उत्पादों के प्रीमियम बढ़ाने की इजाजत मांगी है, ताकि उन्हें कुछ लाभ हो सके। एक साधारण बीमा कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर बीमा कंपनियों को कोरोना रक्षा और कोरोना कवच नीतियों घाटा हो रहा है।
कंपनियों ने पिछले वर्ष जुलाई में इन नीतियों को बाजार में उतारा था। अधिकारी ने कहा कि इस वर्ष जून तक के आंकड़ों के अनुसार अन्य देशों की तुलना में भारत में महामारी का प्रकोप बहुत अधिक था। ऐसे में अधिकांश बीमाकर्ताओं ने इरडा से इन दोनों नीतियों के मूल्य को फिर से तय करने का आग्रह किया है। उल्लेखनीय है कि कोरोना कवच के तहत 50,000 रुपये से पांच लाख रुपये तक और कोरोना रक्षक के तहत 50,000 रुपये से ढाई लाख रुपये तक का कोरोना बीमा लिया जा सकता है।
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सभी सामान्य और स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं को 10 जुलाई, 2020 को या उससे पहले कोरोना कवच की पेशकश करना अनिवार्य था। जबकि सभी बीमाकर्ताओं (सामान्य, स्वास्थ्य और जीवन) को उसी तारीख तक कोरोना रक्षक पॉलिसी लॉन्च करने के लिए कहा गया था। इन दो उत्पादों पर पूरे जीवन renewability, migration और portability लागू नहीं होती है। इसका लाभ 18-65 वर्ष के आयु वर्ग के व्यक्ति उठा सकते हैं। चूंकि ये पॉलिसी छोटी अवधि की होती हैं, इसलिए बीमाकर्ता पॉलिसीधारकों को एक व्यापक हेल्थ पॉलिसी लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
COVID-19 उपचार की लागत से संबंधित वित्तीय सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए Irdai ने पिछले साल महामारी फैलने के बाद इन दो COVID-19-विशिष्ट उत्पादों को डिज़ाइन किया था। Corona Kavach एक क्षतिपूर्ति-आधारित मानक स्वास्थ्य नीति है और corona Rakshak एक मानक लाभ-आधारित स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है।