महंगाई को लेकर सतर्क, लेकिन विकास को देंगे तरजीह: RBI
मंगलवार को जारी रिपोर्ट में आरबीआइ ने देश की इकॉनमी की मौजूदा सूरत और इस पर महंगाई के असर को लेकर व्यापक तौर पर चर्चा की है। इसमें केंद्रीय बैंक ने यह भी आश्वासन दिया है कि वर्ष 2021-22 के शेष महीनों में महंगाई की स्थित ज्यादा खराब नहीं होगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महंगाई को लेकर अपना रुख एक बार फिर स्पष्ट करते हुए आरबीआइ ने संकेत दिया है कि वह इसे एक सीमित दायरे में रखने को लेकर सतर्क है। लेकिन अभी विकास दर को तेज करना और इसे बनाए रखने को वह तरजीह देगा। साथ ही हाल के महीनों में बढ़ी महंगाई के पूर्वानुमान में विफल रहे आरबीआइ ने कहा है कि आने वाले महीनों के लिए उसने जो अनुमान लगाए हैं वे सही साबित होंगे।
मंगलवार को जारी रिपोर्ट में आरबीआइ ने देश की इकॉनमी की मौजूदा सूरत और इस पर महंगाई के असर को लेकर व्यापक तौर पर चर्चा की है। इसमें केंद्रीय बैंक ने यह भी आश्वासन दिया है कि वर्ष 2021-22 के शेष महीनों में महंगाई की स्थित ज्यादा खराब नहीं होगी। इससे पहले आरबीआइ ने अप्रैल-जून तिमाही के लिए 5.2 फीसद महंगाई दर रहने की बात कही थी।
हालांकि इस अवधि की वास्तविक महंगाई दर 5.6 फीसद रही है। दूसरी तरफ जून में आरबीआइ ने कहा था कि पूरे वर्ष के लिए महंगाई की दर 5.1 फीसद रहेगी लेकिन अब इस अनुमान को बढ़ाकर 5.7 फीसद कर दिया है। इस वजह से कई आर्थिक विशेषज्ञों ने केंद्रीय बैंक की आलोचना की है कि वह सही अनुमान नहीं लगा पा रहा है।
बहरहाल, आरबीआइ ने अध्यात्मिक अंदाज में कहा भी है कि सावन के महीने में उसके शांत रहने व भविष्य का ¨चतन करने की समय है।आरबीआइ ने संकेत दिया है कि महंगाई बढ़ने की स्थिति में वह ब्याज दरों को धीरे-धीरे बढ़ाने की रणनीति अपनाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई को थामने के लिए अचानक लिए गए फैसलों से जीडीपी को ज्यादा झटका लगता है।
पूर्व में भारतीय इकॉनमी को इससे नुकसान भी हुआ है। भारतीय संदर्भ में महंगाई की दर में एक फीसद की कमी जीडीपी की विकास दर को 1.5 फीसद से दो फीसद तक कम कर सकती है। यही वजह है कि आरबीआइ की मौद्रिक नीति तय करने वाली समिति ने विकास दर को तरजीह दी है।