मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में होगी दहाई अंकों की बढ़ोतरी: मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यम

मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यम ने यह विश्वास जताया है कि भारत चालू वित्त वर्ष में नीतिगत पहलों और निरंतर सुधारों के कारण दहाई अंक की वृद्धि हासिल करेगा। देश सकल घरेलू उत्पाद के 6.8 फीसद के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए से तैयार है।

By Abhishek PoddarEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 09:13 AM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 09:27 AM (IST)
मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में होगी दहाई अंकों की बढ़ोतरी: मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यम
मुख्य आर्थिक सलाहकार के मुताबिक देश चालू वित्त वर्ष दहाई अंक की वृद्धि हासिल करेगा

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के वी सुब्रमण्यम ने यह विश्वास जताया है कि, भारत चालू वित्त वर्ष में नीतिगत पहलों और निरंतर सुधारों के कारण दहाई अंक की वृद्धि हासिल करेगा। साथ ही उनका यह भी मानना है कि, देश सकल घरेलू उत्पाद के 6.8 फीसद के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने बयान देते हुए यह कहा कि, "मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हमें उस राजकोषीय घाटे को हासिल करने में सक्षम होना चाहिए। विनिवेश के पक्ष में होने वाली किसी भी कमी के साथ कर राजस्व पर सकारात्मक रह सकता है। सरकार का अनुमान है कि 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.8 फीसद है।"

मुख्य आर्थिक सलाहकार के अनुसार, "भारत में इस साल दो अंकों की वृद्धि होने की संभावना है। पहली छमाही के लिए समग्र विकास 13.7 फीसद का रहा है, इसलिए और भी बाद की तिमाहियों में 6 फीसद से अधिक की वृद्धि इस वर्ष के लिए दो अंकों की वृद्धि देने में सक्षम होनी चाहिए।" जारी हुए आकंड़ों से यह पता चलता है कि, वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 8.4 फीसद की रही। इस दौरान भारत की अर्थव्यवस्था कोविड से पहले के स्तर पर को भी पार कर गई थी।

इस साल जनवरी में जारी हुए आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में, मार्च 2022 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के दौरान 11 फीसद के हिसाब से की जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया था। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, विकास को सुधारों और नियमों में ढील, ढांचागत निवेश, उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं के माध्यम से विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने, मांग में कमी की वसूली, विवेकाधीन खपत और तेज टीकाकरण से वृद्धि करने में सहायता मिलेगी।

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