मैन्यूफैक्चरिंग में सुस्ती जारी रहने की आशंका, महामारी की चपेट में बनी हुई है भारतीय अर्थव्यवस्था

इंटरमीडिएट वस्तुओं के आयात में गिरावट से यह भी पता चल रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था अभी महामारी की चपेट में है और लॉकडाउन का प्रभाव अर्थव्यवस्था पर हावी है।

By Manish MishraEdited By: Publish:Fri, 17 Jul 2020 09:15 AM (IST) Updated:Sat, 18 Jul 2020 12:30 PM (IST)
मैन्यूफैक्चरिंग में सुस्ती जारी रहने की आशंका, महामारी की चपेट में बनी हुई है भारतीय अर्थव्यवस्था
मैन्यूफैक्चरिंग में सुस्ती जारी रहने की आशंका, महामारी की चपेट में बनी हुई है भारतीय अर्थव्यवस्था

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जून में 18 साल के बाद व्यापार में घाटे की जगह बढ़ोत्‍तरी हुई है, लेकिन विशेषज्ञ इसे घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग के लिए प्रतिकूल मान रहे हैं। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक जून में निर्यात आयात से 0.79 अरब डॉलर अधिक रहा। इस अवधि में पेट्रोलियम पदार्थों के आयात में पिछले साल जून के मुकाबले 55.29 फीसद की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, कोयले के आयात में 55.72 और सोने के आयात में 77.42 फीसद की गिरावट दर्ज की गई। मशीनरी और मशीन टूल्स के आयात में पिछले साल जून के मुकाबले क्रमश: 42.02 फीसद और 45.24 फीसद की गिरावट रही।

विशेषज्ञों के मुताबिक घरेलू स्तर पर पेट्रोलियम पदार्थो व कोयले की मांग में भारी कमी की वजह से आयात में इतनी गिरावट दर्ज की गई है। इससे जाहिर है कि अभी आर्थिक गतिविधियां काफी धीमी हैं। सोने के आयात में 77 फीसद की गिरावट इस बात का संकेत है कि लोगों के बीच फिजिकल सोने की मांग बिल्कुल समाप्त हो गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक, सोने की फिजिकल खरीदारी अर्थव्यवस्था में तेजी और सुस्ती के साफ संकेत देती है। विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा देखने में आया है कि अर्थव्यवस्था की विकास दर सात फीसद से ऊपर रहने पर सोने के आयात में 80-90 फीसद तक की बढ़ोत्‍तरी दर्ज की गई। 

जून के दौरान मशीनरी और मशीन टूल्स के आयात के साथ डाइंग, टैनिंग, कलरिंग, केमिकल मैटेरियल जैसे कई इंटरमीडिएट आइटम के आयात में भी भारी गिरावट रही। विशेषज्ञों का मानना है कि मशीनरी के आयात में कमी इस बात का संकेत है कि फिलहाल मैन्यूफैक्चरर्स कोई नया निवेश नहीं करना चाहते हैं। वहीं, विभिन्न प्रकार की इंटरमीडिएट वस्तुओं का आयात कम होने से नए उत्पादन में भी कमी की आशंका है। 

इंटरमीडिएट वस्तुओं के आयात में गिरावट से यह भी पता चल रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था अभी महामारी की चपेट में है और लॉकडाउन का प्रभाव अर्थव्यवस्था पर हावी है। जून में भारतीय निर्यात की गिरावट 12 फीसद रही जो अप्रैल में 60 फीसद और मई में 36 फीसद की गिरावट के मुकाबले काफी कम है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इससे जाहिर है कि विदेशी बाजारों पर भारत के मुकाबले लॉकडाउन का असर कम है।

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