चीन के नहीं, भारत में बने खिलौनों से खेलेंगे बच्चे; मैन्यूफैक्चरर्स ने आयात छोड़ उत्पादन पर फोकस किया

भारतीय बच्चे अब चीन के नहीं बल्कि पूरी तरह से भारत में निर्मित खिलौने से खेलेंगे। इस दिशा में जोर-शोर से तैयारी चल रही है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय चीन से होने वाले खिलौने के आयात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा सकता है।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 08:21 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 07:37 AM (IST)
चीन के नहीं, भारत में बने खिलौनों से खेलेंगे बच्चे; मैन्यूफैक्चरर्स ने आयात छोड़ उत्पादन पर फोकस किया
भारत के खिलौना कारोबार में 85 फीसद हिस्सेदारी आयातित खिलौने की है। (PC: Pexels)

नई दिल्ली, राजीव कुमार। भारतीय बच्चे अब चीन के नहीं, बल्कि पूरी तरह से भारत में निर्मित खिलौने से खेलेंगे। इस दिशा में जोर-शोर से तैयारी चल रही है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय चीन से होने वाले खिलौने के आयात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा सकता है। कुछ माह पहले चीन से आयात होने वाले खिलौनों पर लगने वाले शुल्क में 200 फीसद की बढ़ोतरी की गई जिससे चीन से खिलौना आयात में कमी आई है।

भारत के खिलौना कारोबार में 85 फीसद हिस्सेदारी आयातित खिलौने की है और इस 85 फीसद में 85-90 फीसद हिस्सेदारी चीन की है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में भारत में खिलौने का कारोबार 1.75 अरब डॉलर का रहा जो 2023 तक 3.3 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंच सकता है। विश्व का खिलौना बाजार 90 अरब डॉलर का है और इस बाजार में भारत की हिस्सेदारी नगण्य है।

क्या है योजना

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने खिलौना उत्पादन को भी प्रमुख सेक्टर में रखा है। खिलौना निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए देश में कई क्लस्टर बनाने की योजना है। आयात पर प्रतिबंध लगने पर भारतीय खिलौना निर्माता घरेलू स्तर पर ही खिलौना बनाने के लिए बाध्य होंगे जिससे खिलौना निर्माण में तेजी आएगी। कर्नाटक सरकार ने कोप्पल टॉय क्लस्टर की घोषणा भी कर दी है जहां अगले पांच साल में 5000 करोड़ रुपए के निवेश की संभावना है। आंध्र प्रदेश के कोंडापल्ली, तमिलनाडु के थंजावुर, असम के ढूबरी तो उत्तर प्रदेश के बनारस में विशेष प्रकार के खिलौनों के निर्माण के लिए क्लस्टर बनाने की योजना है। उत्तर प्रदेश सरकार ग्रेटर नोएडा में भी टॉय क्लस्टर के विस्तार के लिए जमीन की पेशकश कर रही है।

आयात छोड़ मैन्यूफैक्चरिंग पर फोकस

चीन से होने वाले आयात पर लगने वाले शुल्क को 20 फीसद से बढ़ाकर 60 फीसद किए जाने के बाद आयातक अब फिर से मैन्यूफैक्चरिंग की ओर मुखातिब हो रहे हैं। दिल्ली स्थित खिलौना निर्माता और आयातक गजिंदर छाबड़ा ने बताया कि शुल्क में बढ़ोतरी और चीन के खिलाफ बन रहे माहौल का असर दिखने लगा है। पिछले 10 साल में खिलौना निर्माता पूरी तरह से आयातक बन गए। अब उन्होंने फिर से मैन्यूफैक्चरिंग आरंभ कर दिया है। इस बार खिलौना निर्माता अपनी गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी कर रहे हैं ताकि उपभोक्ताओं को निराशा नहीं हो। खिलौना उत्पादकों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा खिलौना उद्योग पर विशेष ध्यान देने से पूरे खिलौना कारोबार को प्रोत्साहन मिला है।

मंत्रालय के मुताबिक नई शिक्षा नीति में स्कूलों में भारतीय खिलौनों के माध्यम से सीखने की बात की गई है। खिलौना के माध्यम से भारतीय परंपरा को बच्चों को बताने की कोशिश की जाएगी। खिलौना निर्माताओं ने बताया कि इन बातों को ध्यान में रखकर खिलौने के निर्माण की तैयारी शुरू हो गई है। हालांकि कुछ निर्माताओं ने बताया कि सरकार को क्लस्टर निर्माण के काम में तेजी लाने की जरूरत है ताकि जल्द से जल्द भारत खिलौना के विश्व बाजार में अपनी मौजूदगी जाहिर कर सके।

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