भारत पूरे दमखम के साथ कोरोना संकट से निकलेगा बाहर: Deloitte CEO

मैं अपने देश के बारे में बोलते हुए निश्चित रूप से थोड़ा पक्षपाती हो सकता हूं लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि 21 वीं सदी भारत की सदी है क्योंकि भारत में बड़ी संख्या में प्रतिभावान युवा हैं और इस देश में पिछले 75 वर्षों से लोकतांत्रिक परंपरा कायम है।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 01:25 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 11:20 AM (IST)
भारत पूरे दमखम के साथ कोरोना संकट से निकलेगा बाहर: Deloitte CEO
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर P C : Flickr

नई दिल्ली, पीटीआइ। पूरे विश्व को प्रभावित कर रहे कोरोना वायरस संकट से भारत पूरे दमखम के साथ बाहर निकल आएगा। डेलॉयट (Deloitte) के सीईओ पुनीत रंजन ने यह बात कही। रंजन ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में भारत सरकार ने अच्छा प्रदर्शन किया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि 21 वीं सदी भारत की सदी है। 60 वर्षीय प्रमुख भारतीय-अमेरिकी बिजनेस लीडर ने न्यूज एजेंसी पीटीआइ से एक साक्षात्कार में कहा, 'यह भारत की सदी है और में इस बारे में आश्वस्त हूं।'

रंजन ने कहा, 'मैं अपने देश के बारे में बोलते हुए निश्चित रूप से थोड़ा पक्षपाती हो सकता हूं, लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि 21 वीं सदी भारत की सदी है, क्योंकि भारत में बड़ी संख्या में प्रतिभावान युवा हैं और इस देश में पिछले 75 वर्षों से लोकतांत्रिक परंपरा कायम है।'

रोहतक में जन्मे ये भारतीय मूल के सीईओ साल 2015 से डेलॉइट की कमान संभाले हुए हैं। उन्होंने भारत के लिए 12.5 फीसद वृद्धि दर का अनुमान लगाने वाली अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की हालिया रिपोर्ट को उल्लेखनीय बताया।

रंजन ने कहा, ‘कोई भी यह बात पक्के तौर पर नहीं कह सकता है, लेकिन मैं वास्तव में मानता हूं कि भारत इस महामारी से सबसे तेज दर से उबरेगा।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे लगता है कि रिकवरी बहुत मजबूत होने जा रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और डेलॉइट के रूप में, मैं भारत को लेकर बहुत आशावादी हूं।’ रंजन डेलॉइट की वैश्विक निदेशक बोर्ड के भी सदस्य हैं।

रंजन ने कहा कि यह एक बेहद अप्रत्याशित वायरस है और भारत 1.3 अरब लोगों का देश है। भारत में मुंबई में धारावी जैसी जगह भी हैं, जहां जन घनत्व काफी अधिक है। यहां तेजी से वायरस फैल सकता है। रंजन ने कहा, 'इन सब परिस्थितियों को देखते हुए, मैं मानता हूं कि भारतीय अर्थव्यवस्थआ और भारतीय लोगों ने जितना संभव था, उतना अच्छा किया है। हालांकि, यह एक मुश्किल वक्त है, लेकिन ऐसा सिर्फ भारत के साथ ही नहीं है।’

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