कोरोना पूर्व से भी अधिक हुई विकास दर, दूसरी तिमाही के GDP में 8.4 फीसद की वृद्धि दर्ज

दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है जो वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही के जीडीपी के मुकाबले ज्यादा है। भारत की जीडीपी वृद्धि दुनिया की 28 प्रमुख देशों में सबसे अधिक है।

By Ashish DeepEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 06:05 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 08:11 AM (IST)
कोरोना पूर्व से भी अधिक हुई विकास दर, दूसरी तिमाही के GDP  में 8.4 फीसद की वृद्धि दर्ज
कोरोना पूर्व से भी अधिक हुआ विकास दर, दूसरी तिमाही के GDP में 8.4 फीसद की वृद्धि दर्ज

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में सभी सेक्टर के बेहतर प्रदर्शन की बदौलत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 8.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। सबसे बड़ी बात यह है कि दूसरी तिमाही के जीडीपी में कोरोना पूर्व काल यानी वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही के जीडीपी के मुकाबले 0.3 प्रतिशत ज्यादा रही। कोरोना पूर्व काल (2019-20) की दूसरी तिमाही में जीडीपी 35.61 लाख करोड़ रुपये थी जबकि चालू वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 35.73 लाख करोड़ रुपये रही।

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 20.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ था, लेकिन वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही के मुकाबले यह नौ प्रतिशत कम था। पिछले साल जुलाई-सितंबर में जीडीपी 32.97 लाख करोड़ रुपये थी।कोरोना को रोकने को लेकर किए गए सरकारी उपाय और वैक्सीन की दर में लगातार वृद्धि से इस साल जुलाई-सितंबर के दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि दुनिया की 28 प्रमुख देशों में सबसे अधिक है।

पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी में 7.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। उसके बाद से हर तिमाही में जीडीपी में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी है। हालांकि कुछ आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल जीडीपी 7.4 प्रतिशत की गिरावट की वजह से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिख रही है।

दहाई अंक में रहेगी विकास दर: सीईए

देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यन का कहना है कि इस वृद्धि को हम खारिज नहीं कर सकते हैं। दूसरी तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग से लेकर सेवा क्षेत्र तक में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर दहाई अंक में रहेगी तो अगले वित्त वर्ष 2022-23 में यह विकास दर 6.5-7.0 प्रतिशत रह सकती है। उसके बाद के वित्त वर्ष में सात प्रतिशत की विकास दर रह सकती है।

निवेश में हुई उम्मीद से अधिक वृद्धि

मोतीलाल ओसवाल के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता के मुताबिक दूसरी तिमाही में निवेश में उम्मीद से अधिक वृद्धि रही तो निजी खपत में थोड़ी कम वृद्धि रही। आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निजी खपत में 17,83,611 करोड़ खर्च किए गए जबकि दूसरी तिमाही में यह व्यय 19,48,346 करोड़ रहा। पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में निजी खपत के मद में 17,93,863 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

कृषि से जुड़े क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के ग्रास वैल्यू एडेड (जीवीए) के मुताबिक कृषि से जुड़े क्षेत्र में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 4.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही। मैन्यूफैक्चरिंग में पिछले साल की दूसरी तिमाही के मुकाबले 5.5 प्रतिशत तो खनन से जुड़े क्षेत्र में 15.4 प्रतिशत का इजाफा रहा। निर्माण क्षेत्र में 7.5 प्रतिशत तो सेवा क्षेत्र से जुडे होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार जैसे क्षेत्रों में 8.2 प्रतिशत, वित्तीय और रियल एस्टेट सेवा क्षेत्र में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। बिजली, गैस, पानी आपूर्ति से जुड़े सेवा क्षेत्र में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 8.9 प्रतिशत का इजाफा रहा।

एसएंडपी ने विकास अनुमान को 9.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने मंगलवार को चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत के आर्थिक विकास के अनुमान को 9.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। उसने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत वायरस के साथ जीना सीख रहा है। अर्थव्यवस्था सुधर रही है और उपभोक्ताओं के साथ-साथ व्यावसायिक वर्ग में आत्मविश्वास बढ़ रहा है। बढ़ती महंगाई चिंता का विषय जरूर है, लेकिन बढ़ती मांग विकास को लगातार रफ्तार दे रही है। रिपोर्ट में में अगले वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास के अनुमान को 7.8 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान एसएंडपी ने विकास के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.0 प्रतिशत कर दिया है।

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