नई इस्पात नीति के लागू होने से हुई 5000 करोड़ रुपये की बचत: बीरेंद्र सिंह

सिंह ने कहा कि सरकार की योजना हर इस्पात उत्पाद के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) से प्रमाणन को अनिवार्य बनाने की है

By Praveen DwivediEdited By: Publish:Mon, 10 Dec 2018 12:56 PM (IST) Updated:Mon, 10 Dec 2018 12:56 PM (IST)
नई इस्पात नीति के लागू होने से हुई 5000 करोड़ रुपये की बचत: बीरेंद्र सिंह
नई इस्पात नीति के लागू होने से हुई 5000 करोड़ रुपये की बचत: बीरेंद्र सिंह

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने बताया कि नई इस्पात नीति को लागू किये जाने के बाद से अब तक करीब पांच हजार करोड़ रुपये की बचत हो चुकी है। सिंह ने स्टील यूजर फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसयूएफआई) की ओर से आयोजित एक उद्योग पुरस्कार समारोह के दौरान कहा कि सरकार की योजना हर इस्पात उत्पाद के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) से प्रमाणन को अनिवार्य बनाने की है।

उन्होंने कहा, "वर्तमान में करीब 86 फीसद उत्पादों पर बीआईएस लागू है और हमारी योजना इसे 100 फीसद करने की है।" हालांकि उन्होंने इसके लिए कोई तारीख नहीं बताई। जब सिंह से बीआईएस लागू किए जाने के प्रभाव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अब तक आपको लगता होगा कि कोई असर नहीं हुआ है। लेकिन घरेलू इस्पात को प्रोत्साहित करने के लिए लाई गई इस्पात नीति को लागू करने के एक साल से भी कम समय में हमने करीब 5,000 करोड़ रुपये बचाए हैं। उन्होंने कहा कि बीआईएस के साथ सेंकेंडरी मार्केट को भी हम समान अवसर उपलब्ध कराने में कामयाब रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि बीते 4 वर्षों के दौरान देश में स्टील की खपत प्रति व्यक्ति 56 किलो से बढ़कर 68 किलोग्राम हो गई है। मंत्री ने ध्यान दिलाया कि देश का स्टील उत्पादन लक्ष्य वर्ष 2030 तक 300 मिलियन टन हो गया है। उन्होंने कहा, "हमने 84 मिलियन टन के स्तर को छू लिया है जो कि शुरुआती 9 महीनों के हिसाब से 5.5 फीसद है।"

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