आयकर कानून के प्रावधान की वजह से फ्लैटों के दाम में नहीं आ रही कमी, जानें पूरा ब्योरा

सर्किल रेट के आधार पर ही प्लॉट घर अपार्टमेंट या कॉमर्शियल पॉपर्टी की बिक्री होती है। सर्किल दरों का निर्धारण राज्य सरकारें करती हैं।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 09:59 AM (IST) Updated:Sun, 07 Jun 2020 08:54 AM (IST)
आयकर कानून के प्रावधान की वजह से फ्लैटों के दाम में नहीं आ रही कमी, जानें पूरा ब्योरा
आयकर कानून के प्रावधान की वजह से फ्लैटों के दाम में नहीं आ रही कमी, जानें पूरा ब्योरा

नई दिल्ली, पीटीआइ। रियल एस्टेट से जुड़ी देशभर की कंपनियों ने फ्लैट का दाम नहीं घटाने के पीछे आयकर कानून को जिम्मेदार ठहराया है। पिछले दिनों वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने रियल्टी कंपनियों से कहा था कि वे बन चुके फ्लैट्स की बिक्री के लिए दाम घटाएं। उसके जवाब में कंपनियों ने कहा है कि मौजूदा कानूनों के रहते वे फ्लैट का दाम घटाने में अक्षम हैं। इसकी वजह यह है कि आयकर कानून के मुताबिक कंपनियां सर्किल रेट से कम दाम पर फ्लैट की बिक्री नहीं कर सकतीं। रियल्टी सेक्टर की सबसे बड़ी संस्थाओं क्रेडाई और नारेडको ने कहा है कि अगर फ्लैट के दाम में सर्किल रेट के मुकाबले 10 फीसद से अधिक कमी की जाती है, तो इस पर सरकार द्वारा अतिरिक्त टैक्स लगाया जाता है।  

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गौरतलब है कि सर्किल रेट के आधार पर ही प्लॉट, घर, अपार्टमेंट या कॉमर्शियल पॉपर्टी की बिक्री होती है। सर्किल दरों का निर्धारण राज्य सरकारें करती हैं और इससे कम दर पर इस तरह की संपत्तियों की बिक्री का प्रावधान नहीं है। 

पीयूष गोयल की सलाह पर प्रतिक्रिया देते हुए नारेडको के प्रेसिडेंट निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि फ्लैट्स के दाम में सर्किल रेट के मुकाबले 10 फीसद से अधिक की कटौती ना तो रियल्टी कंपनी और ना ही ग्राहकों के हित में है। इसकी वजह यह है कि उस सीमा से अधिक कटौती पर खरीदार और विक्रेता दोनों पर अतिरिक्त टैक्स लगाया जाता है। यह समस्या का समाधान नहीं है।

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वहीं, क्रेडाई के चेयरमैन जक्षय शाह का कहना था कि रियल्टी सेक्टर कोरोना संकट के पहले से ही जीएसटी, रेरा, नोटबंदी और एनबीएफसी के वित्तीय संकटों के चलते परेशान है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद कच्चा माल और श्रम लागत में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसी सप्ताह बुधवार को रियल्टी कंपनियों के साथ एक वर्चुअल बैठक में गोयल को कहते हुए सुना गया है कि सरकार रियल्टी कंपनियों को कुछ राहत देने की कोशिश कर रही है। लेकिन बिल्डरों को अपने तैयार फ्लैट्स बेच लेने की कोशिश करनी होगी।

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