अरहर, उड़द व मूंग की दाल के भाव को काबू में करने के लिए सरकार का अहम कदम, जानें कब तक घटेंगे दाम

सरकार ने तत्काल प्रभाव से तीन प्रमुख दालों के शुल्क मुक्त आयात की इजाजत दे दी है। इनमें अहरर मूंग व उड़द शामिल हैं। मांग व आपूर्ति में बढ़ रहे अंतर और महंगी होती दालों को देख सरकार ने यह फैसला किया है।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 11:42 AM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 12:12 PM (IST)
अरहर, उड़द व मूंग की दाल के भाव को काबू में करने के लिए सरकार का अहम कदम, जानें कब तक घटेंगे दाम
राज्य एजेंसियों को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दालों के स्टॉक की जांच करने की हिदायत दी गई है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार ने तत्काल प्रभाव से तीन प्रमुख दालों के शुल्क मुक्त आयात की इजाजत दे दी है। इनमें अहरर, मूंग व उड़द शामिल हैं। मांग व आपूर्ति में बढ़ रहे अंतर और महंगी होती दालों को देख सरकार ने यह फैसला किया है। दालों के आयात का यह फैसला तीन वर्षों बाद लिया गया है। दालों की आयात नीति में संशोधन करते हुए अरहर, मूंग और उड़द को प्रतिबंधित सूची से मुक्त सूची में रख दिया गया है। इससे घरेलू बाजार में दालों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगेगी। कोरोना संक्रमण के दौरान प्रोटीन के सबसे सस्ते स्रोत दालों की मांग में भारी इजाफा हुआ है। इनकी आपूर्ति बढ़ाने को लेकर केंद्रीय उपभेक्ता मामले मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर दालों के व्यापारी, मिल मालिकों और आयातकों का स्टॉक घोषित करने का निर्देश दिया है।  

राज्य एजेंसियों को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दालों के स्टॉक की जांच करने की हिदायत दी गई है ताकि कालाबाजारी और जमाखोरी पर शिकंजा कसा जा सके। दालों की आपूर्ति घटने और कीमतों में अचानक आई तेजी को लेकर सरकार ने सतर्कता बरतते हुए यह फैसला लिया है। किसानों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार ने दालों के आयात का यह फैसला उस समय लिया है, जब किसानों ने अपनी पूरी उपज बाजार में बेच दी है। 

अधिसूचना में आयातित दालों के घरेलू बाजारों में पहुंचने का भी समय निर्धारित किया गया है। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक दाल आयात में दी गई यह रियायत 31 अक्टूबर, 2021 तक ही मान्य है। आयात सौदे हर हाल में इससे पहले पूरे कर लिए जाने चाहिए। घरेलू बंदरगाहों पर इन दालों की आमद 30 नवंबर, 2021 से पहले हो जानी चाहिए। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि आगामी खरीफ की फसल को दलहन उपज को मिलने वाले दाम के नुकसान से बचाया जा सके।

सरकार के इस फैसले को इंडियन पल्स एंड ग्रेन्स ट्रेडर्स एसोसिएशन ने समय पर उठाया गया सराहनीय कदम बताया है। एसोसिएशन के अनुसार इससे बाजार में जहां उपभोक्ताओं को रियायती व उचित दर पर दालें मिलेंगी। एसोसिएशन को उम्मीद है कि फौरी तौर पर 2.5 लाख टन अरहर (तूर), 1.5 लाख टन मूंग और 50-75 हजार टन उड़द आयात का अऩुमान है। दलहनी फसलों की पैदावार को लेकर सचिवों की अंतर मंत्रालयी बैठक में मतभेद था। पैदावार के ताजा अनुमान को लेकर संदेह व्यक्त किया जा रहा था। दालों का सरकारी बफर स्टॉक न्यूनतम स्तर 12 लाख टन पर आ गया है। इसमें अरहर का स्टॉक 3.35 लाख टन है, जिसमें चालू खरीद सीजन की अरहर दाल नहीं है। अधिकतम बफर स्टॉक 40 लाख टन तक रह चुका है।

अधिकतर दालों की खरीद एमएसपी से अधिक पर

घरेलू बाजार में दलहनी फसलों के मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुकाबले अधिक बोले जा रहे हैं। बाजार में चना दाल को छोड़ बाकी सभी दालों के मूल्य 100 रुपये प्रति किलो से ऊपर हैं। चना की एमएसपी 5,100 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि यह बाजार में 5,700 रुपये तक बिका। अरहर अपने समर्थन मूल्य 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले 7,000 रुपये पर बिका है। उड़द का भाव 6,000 रुपये एमएसपी के मुकाबले 7,200 रुपये तक हो चुका है। मूंग अपनी एमएसपी 7,196 रुपये क्विंटल के मुकाबले 7,500 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है।

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