Explainer: जानिए क्या है IBC Amendment Bill 2021, क्या हैं इसके मायने

लोकसभा ने बुधवार को इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (एमेंडमेंट) बिल 2021 को पारित कर दिया। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच यह महत्वपूर्ण संशोधन विधेयक पारित हो गया। यह संशोधन विधेयक इंसॉल्वेंसी कानून को लेकर लाए गए संशोधन अध्यादेश की जगह लेगा।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 05:55 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 07:43 AM (IST)
Explainer: जानिए क्या है IBC Amendment Bill 2021, क्या हैं इसके मायने
इस पूरी पहल का मकसद छोटे एवं मझोले उद्योगों को राहत देना है। (PC: Pexels)

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। लोकसभा ने बुधवार को बिना किसी चर्चा के आईबीसी एमेंडमेंट बिल, 2021 को मंजूरी दे दी। इन संशोधनों के तहत दबाव वाली MSMEs के लिए प्री-पैकेज्ड रिजॉल्यूशन प्रोसेस के साथ-साथ अन्य प्रावधान किए गए हैं। यह विधेयक विपक्षी दलों के सदस्यों की शोरगुल के बीच पारित हो गया। विपक्षी दल के सदस्यों ने पेगासस जासूसी मामले और तीन नए कृषि कानूनों को लेकर बुधवार को भी अपना प्रदर्शन जारी रखा। कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने बताया कि यह संशोधन विधेयक इंसॉल्वेंसी कानून को लेकर लाए गए संशोधन अध्यादेश की जगह लेगा।

जानिए क्या है IBC Amendment Bill 2021 एवं क्या है इसके मायने चार अप्रैल को इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (एमेंडमेंट) ऑर्डिनेंस, 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दी थी। इस अध्यादेश का उद्देश्य छोटे कारोबारियों के लिए वैकल्पिक बैंकरप्सी रिजॉल्यूशन स्कीम की पेशकश करना था। यह विधेयक अप्रैल में लाए गए इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (एमेंडमेंट) ऑर्डिनेंस, 2021 का स्थान लेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था। इस पूरी पहल का मकसद छोटे एवं मझोले उद्योगों को राहत देना है, जिनपर कोविड-19 महामारी का काफी प्रतिकूल असर हुआ है। इसके तहत माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) को एक करोड़ रुपये तक के लोन डिफॉल्ट (कर्ज अदायगी में चूक) के लिए एक वैकल्पिक इंसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस मिलता है। इस प्रक्रिया को प्री-पैकेज्ड इंसॉल्वेंसी रिजॉल्यूश प्रोसेस (PIRP) का नाम दिया गया है। इस बिल में प्री-पैकेज्ड इंसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस को फैसिलिटेट करने के लिए IB Code में एक नया चैप्टर जोड़ने का प्रस्ताव है। अगर कोई इकाई धोखाधड़ी भरे या गलत इरादे से प्री-पैकेज्ड इंसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस शुरू करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है। 

क्यों लाया गया है यह विधेयक

छोटे बिजनेसेज के लिए समय और लागत की बचत वाली सरल IBC प्रक्रिया की मांग लंबे समय से चल रही थी। इसी को देखते हुए इस साल अप्रैल में प्री-पैकेज्ड रिजॉल्यूशन वाली स्कीम लायी गई थी। यह कॉरपोरेट रेस्क्यू प्लान को एकसाथ लाने का एक अनौपचारिक तरीका है। इसके लिए एक न्यायाधीकरण से बाद में मंजूरी ली जाएगी। आईबीसी (एमेंडमेंट) बिल, 2021 इसी ऑर्डिनेंस की जगह पर लाया गया है।

प्री-पैकेज्ड स्कीम की प्रमुख विशेषताएं

आम दिवालिया प्रावधानों से उलट इस स्कीम में छोटे कारोबारियों के मालिक या बहुलांश हिस्सेदारी रखने वाले शेयरहोल्डरों का प्री-पैक इंसॉल्वेंसी की प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी एंटरप्राइज पर ऑपरेशनल कंट्रोल बना रहता है। यह छोटे कारोबार के लिए काफी अहम होता है क्योंकि कंपनी को चलाने के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति उसका प्रमोटर होता है। इसकी वजह यह है कि वह अपने व्यक्तिगत रिश्ते के आधार पर ऑर्डर प्राप्त करता है और अपने बिजनेस का एक्सपर्ट होता है।

किन बिजनेसेज को मिल सकता है इस स्कीम का लाभ

देश में 13 लाख से ज्यादा सक्रिय कंपनियां हैं। इनमें से करीब 60 फीसद कंपनियां प्री-पैक बैंकरप्सी रिजॉल्यूशन स्कीम का लाभ प्राप्त करने की पात्र हैं। इसकी वजह है कि अधिकतर सक्रिय कंपनियां सरकार द्वारा परिभाषित MSME कंपनियों के दायरे में आती हैं।

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