देश के बाकी राज्यों की तुलना में दक्षिणी राज्यों के परिवार हैं अधिक कर्जदार: रिपोर्ट
प्रमुख राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में कर्जग्रस्त परिवारों का सबसे कम अनुपात उत्तराखंड में और शहरी क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ में था। दक्षिणी राज्यों में प्रति व्यक्ति आय देश के अन्य राज्यों की तुलना में अधिक थी फिर भी इन राज्यों में ग्रामीण और शहरी दोनों परिवारों में अधिक कर्जदार थे।
नई दिल्ली, पीटीआइ। देश के अन्य हिस्सों की तुलना में दक्षिणी राज्यों में घरेलू कर्ज अधिक है। एक रिपोर्ट में मंगलवार को यह जानकारी दी गई। 2013-2019 के अखिल भारतीय कर्ज और निवेश सर्वेक्षण (AIDIS) के आंकड़ों का हवाला देते हुए, घरेलू एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में घरेलू कर्ज भारत के बाकी हिस्सों की तुलना में दक्षिणी राज्यों में अधिक था। 2019 में 67.2 फीसद के साथ तेलंगाना में ग्रामीण परिवारों का सबसे अधिक अनुपात था और 6.6 फीसद के साथ नागालैंड में ग्रामीण परिवारों का सबसे कम कर्ज था।
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इसमें कहा गया है कि केरल में 47.8 फीसद शहरी परिवार कर्जदार हैं और मेघालय में 5.1 फीसद सबसे कम कर्ज है। प्रमुख राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में कर्जग्रस्त परिवारों का सबसे कम अनुपात उत्तराखंड में और शहरी क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ में था। दक्षिणी राज्यों में प्रति व्यक्ति आय देश के अन्य राज्यों की तुलना में अधिक थी, फिर भी इन राज्यों में ग्रामीण और शहरी दोनों परिवारों में अधिक कर्जदार थे।
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रिपोर्ट के मुताबिक, इस द्विभाजन को समझने के तरीकों में से एक घरेलू कर्ज की औसत राशि, घरेलू संपत्ति का औसत मूल्य और कर्ज-परिसंपत्ति अनुपात को देखना है, क्योंकि अक्सर कर्ज की मात्रा संपत्ति से जुड़ी होती है।
चार दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना उन पांच राज्यों में शामिल हैं, जहां ग्रामीण और शहरी दोनों परिवारों के लिए संपत्ति अनुपात का उच्चतम कर्ज है, जबकि पांचवां कर्नाटक का संपत्ति अनुपात अखिल भारतीय औसत से अधिक है। यह बताता है कि दक्षिणी राज्यों में परिवारों का एक उच्च अनुपात कर्जदार है।
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