Bank FD की तुलना में अधिक रिटर्न पाना चाहते हैं, तो Corporate FD में करें निवेश, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

कॉरपोरेट एफडी पर ब्याज निवेशक की आय में जुड़ता है और उस पर आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स कटता है। जो निवेशक उच्च टैक्स स्लैब में आते हैं उनके लिए कॉरपोरेट एफडी आकर्षक नहीं रह पाती क्योंकि टैक्स के बाद रिटर्न घट जाता है।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 04:48 PM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 02:42 PM (IST)
Bank FD की तुलना में अधिक रिटर्न पाना चाहते हैं, तो Corporate FD में करें निवेश, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
प्रतीकात्मक तस्वीर ( P C : Pixabay )

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारत में फिक्स डिपॉजिट (FD) एक काफी लोकप्रिय निवेश विकल्प है। लेकिन पिछले कुछ महीने से बैंक एफडी पर ब्याज दरों में आ रही गिरावट के कारण लोग इसका विकल्प तलाश रहे हैं, ताकि बेहतर रिटर्न प्राप्त कर सकें। कॉरपोरेट एफडी उन लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है, जो बैंक एफडी से अधिक फिक्स्ड रिटर्न चाहते हैं। हालांकि, कॉरपोरेट एफडी में थोड़ा जोखिम ज्यादा होता है। निवेशक एएए रेटिंग वाले कॉरपोरेट फिक्स डिपॉजिट्स (Corporate FD) में भी निवेश शुरू कर सकते हैं।

हालांकि, अगर आप एक औसत निवेशक हैं, तो आपको अधिक जोखिम होने के कारण कॉरपोरेट एफडी में निवेश की सलाह नहीं दी जाती है। आईसीआईसीआई होम फाइनेंस लिमिटेड (ICICI Home Finance Ltd) और एचडीएफसी लिमिटेड (HDFC Ltd) जैसी एएए रेटिंग वाली कॉरपोरेट एफडी बैंक एफडी की तुलना में एक से दो फीसद अधिक रिटर्न देती है। एक निवेशक को कॉरपोरेट एफडी में निवेश करने से पहले तीन जोखिमों के बारे में जरूर जान लेना चाहिए।

आयकर

कॉरपोरेट एफडी पर ब्याज निवेशक की आय में जुड़ता है और उस पर आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स कटता है। जो निवेशक उच्च टैक्स स्लैब में आते हैं, उनके लिए कॉरपोरेट एफडी आकर्षक नहीं रह पाती, क्योंकि टैक्स के बाद रिटर्न घट जाता है।

डिफॉल्ट होने का जोखिम

जहां बैंक एफडी में निवेश सुरक्षित समझा जाता है, तो वहीं कॉरपोरेट एफडी में अधिक जोखिम होता है। यह निवेश उत्पाद न तो पूंजी की और न ही ब्याज भुगतान की सुरक्षा की गारंटी देता है। अगर कंपनी वित्तीय संकट का सामना करती है, तो एक निवेशक के रूप में आप अपने धन को खो भी सकते हैं।

प्री-मैच्योर निकासी

ज्यादातर कंपनी एफडी तीन महीने की लॉक-इन अवधि के साथ आती हैं, इस दौरान निवेशक निकासी नहीं कर सकते हैं। यहां तक कि लॉक-इन अवधि के पूरा होने के बाद भी प्री-मैच्योर निकासी का मतलब है पूरी एफडी को बंद करना। कॉरपोरेट एफडी में आशिंक निकासी की कोई सुविधा नहीं होती है। इसके अलावा, एक निवेशक को एफडी परिपक्व होने से पहले निकासी करने पर कुछ ब्याज गंवाना पड़ेगा।

chat bot
आपका साथी