GST Compensation को लेकर मोदी सरकार को घेरने की रणनीति बना रहीं विपक्षी राज्यों की सरकारें, जानें क्या है पूरा मामला

GST से जुड़े राजस्व के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई 2017 के बाद से रेवेन्यू में अपेक्षित वृद्धि का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Sun, 15 Dec 2019 11:51 AM (IST) Updated:Mon, 16 Dec 2019 08:44 AM (IST)
GST Compensation को लेकर मोदी सरकार को घेरने की रणनीति बना रहीं विपक्षी राज्यों की सरकारें, जानें क्या है पूरा मामला
GST Compensation को लेकर मोदी सरकार को घेरने की रणनीति बना रहीं विपक्षी राज्यों की सरकारें, जानें क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। GST Compensation के भुगतान में देरी को लेकर राज्यों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। अगले सप्ताह होने वाली GST Council की बैठक में यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। साथ ही राज्य अब कंपेंसेशन की अवधि को पांच साल और बढ़ाने का दबाव बना सकते हैं। राज्यों का कहना है कि कंपेंसेशन की अवधि 2021-22 में समाप्त हो जाएगी, लेकिन तब तक रेवेन्यू वृद्धि की अपेक्षित रफ्तार हासिल होने की कोई उम्मीद नहीं है। उस पर मौजूदा कंपेंसेशन के भुगतान में भी देरी हो रही है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर जल्द भुगतान का आग्रह किया था तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कंपेंसेशन की अवधि को बढ़ाकर 2026-27 करने की मांग की है।

शनिवार को शिवसेना ने चेतावनी दी है कि अगर कंपेंसेशन का जल्द भुगतान नहीं हुआ तो केंद्र और राज्य के संबंधों में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। 

राज्यों का आरोप है कि केंद्र सरकार इस संबंध में अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं कर सकी है। इससे 18 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल की प्रस्तावित बैठक में इन मुद्दों पर गैर-भाजपा शासित प्रदेशों की तरफ से तल्ख रुख अपनाने के आसार बन रहे हैं। वर्ष 2017 में जीएसटी लागू होने के वक्त केंद्र और राज्य के अधिकांश अप्रत्यक्ष करों को इसमें मिला दिया गया था। उस वक्त प्रति माह जीएसटी का रेवेन्यू एक लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान लगाया गया था। साथ ही राज्यों को जीएसटी लागू होने से पूर्व अर्जित रेवेन्यू में 14 परसेंट सालाना की वृद्धि का अनुमान लगाया गया। राज्यों से वादा किया गया था कि प्रत्येक साल अर्जित रेवेन्यू में 14 परसेंट की अपेक्षित वृद्धि नहीं होने की स्थिति में होने वाले नुकसान की भरपाई केंद्र करेगा। इसके लिए एक कंपेंसेशन सेस का प्रावधान भी किया गया।

GST Revenue के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई, 2017 के बाद से रेवेन्यू में अपेक्षित वृद्धि का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया। यहां तक कि एक लाख करोड़ रुपये का मासिक रेवेन्यू भी गिनती के महीनों में प्राप्त हो पाया है। चालू वित्त वर्ष में ही केवल चार महीने ऐसे रहे हैं जब जीएसटी से प्राप्त होने वाला रेवेन्यू एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर गया है। यही वजह है कि राज्यों के रेवेन्यू और अपेक्षित वृद्धि के बाद अनुमानित रेवेन्यू का अंतर बढ़ता जा रहा है। यह अंतर बढ़ने से राज्यों को मिलने वाले कंपेंसेशन या क्षतिपूर्ति की भी दिक्कत होने लगी है।

हाल ही में कुछ राज्यों के वित्त मंत्रियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर कंपेंसेशन की राशि जारी करने का आग्रह किया। राज्यों का आरोप है कि बीते चार महीने से कंपेंसेशन की राशि का भुगतान केंद्र ने रोका हुआ है। राज्यों का कहना है कि केंद्र पर कंपेंसेशन का करीब 50,000 करोड़ रुपये बकाया है। हालांकि राज्यसभा में अनुदान की पूरक मांगों पर हुई चर्चा के दौरान हुए वित्त मंत्री ने भरोसा दिया था कि राज्यों को भुगतान को लेकर केंद्र वचनबद्ध है।

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